योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (YSS) के 2020 के साधना संगमों के बारे में आपको सूचित करते हुए हमें अपार आनंद हो रहा है । अधिक संख्या में भक्तों की भागीदारी को ध्यान में रखते हुए, हम रांची आश्रम में केवल दो वार्षिक शरद संगम आयोजित करने के स्थान पर अगले वर्ष पाँच अलग-अलग स्थानों पर अनेक साधना संगमों का आयोजन करेंगे।
पूरे वर्ष में विभिन्न समयों में होने वाले ये संगम रांची, नोएडा, दक्षिणेश्वर स्थित वाईएसएस आश्रमों एवं आनंद शिखर साधनालय, शिमला तथा परमहंस योगानन्द साधनालय, इगतपुरी में भी आयोजित किये जाएंगे। ये संगम वर्ष भर फैले रहेंगे। भक्त अपनी सुविधानुसार समय और स्थान चुनकर इन संगमों में भाग ले सकते हैं। परंतु, कोई भी भक्त वर्ष 2020 के दौरान केवल एक ही साधना संगम में भाग ले सकता है।
यह समझाने के लिए कि किन कारणों से हम शरद संगम के स्थान पर इन साधना संगमों को ला रहे हैं, हम संगमों की विरासत और आरंभ से अब तक इनमें हुए परिवर्तनों के बारे में आपको बताना चाहते हैं।
रांची में शरद संगमों का इतिहास
गुरुदेव हमेशा चाहते थे कि वर्ष में एक बार एक ऐसा कार्यक्रम होना चाहिए जिसमें योगदा भक्त आध्यात्मिक नवीकरण और सत्संग के उद्देश्य से एकत्र हो सकें तथा उनकी शिक्षाओं की बेहतर समझ एवं आध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और प्रेरणा प्राप्त कर सकें। इसलिए, 1950 में, उन्होंने लॉस एंजिलिस स्थित अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय में पहला सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (एसआरएफ़) वर्ल्ड कान्वोकेशन आयोजित किया – एक ऐसा समारोह जो आज विश्व भर से हज़ारों लोगों को प्रति वर्ष आकर्षित करता है।
श्री श्री मृणालिनी माता (मध्य में), वाईएसएस/एसआरएफ़ की चौथी अध्यक्ष, 1977 के डायमंड जुबली उत्सव रांची में – वर्तमान संगमों का अग्रदूत।
वर्ष 1977 में, वाईएसएस की स्थापना की हीरक जयन्ती वर्ष के अवसर पर योगदा भक्तों के लिए इसी प्रकार के कार्यक्रम को पहली बार रांची आश्रम में आयोजित किया गया था जिसमें कुछ सौ भक्तों ने भाग लिया था। इसके बाद, ये आयोजन प्रति वर्ष मार्च का एक नियमित कार्यक्रम बन गए । उस समय इन्हें संस्थापक सप्ताह (Founder’s Week) के रूप में जाना जाता था, क्योंकि वे उस सप्ताह के दौरान आयोजित होते थे, जो वाईएसएस के स्थापना दिवस (22 मार्च) के साथ आता था। वर्ष 1984 के बाद से, इन समारोहों को अक्टूबर-नवंबर (शरद ऋतु) में स्थानांतरित कर दिया गया, और इन्हें शरद संगम कहा गया।
तब से, वाईएसएस प्रायः हर साल शरद संगमों का आयोजन कर रहा है। जैसे-जैसे गुरूजी की शिक्षाएँ पूरे भारत में फैलीं, 2000 के दशक के प्रारम्भ में भक्तों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने हमें देश के विभिन्न हिस्सों में अतिरिक्त जन्मोत्सव समारोह आयोजित करने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार योगदा भक्त, शरद संगम या जन्मोत्सव समारोहों में से किसी एक में भाग ले सकता था।
जन्मोत्सव कार्यक्रमों को शुरू करने के बाद भी, संगम में भाग लेने की मांग इतनी बढ़ रही थी कि हर साल भक्तों की बढ़ती संख्या को शरद संगम में आने से रोकना पड़ता था और इस तरह अनेक भक्त शरद संगम में भाग ले पाने से वंचित रह जाते थे। बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए, 2011 से 2013 तक अतिरिक्त स्थानों – नोएडा, इगतपुरी, और कुप्पम – में संगम भी आयोजित किए गए थे। विभिन्न कारणों से इगतपुरी और कुप्पम में संगमों को जारी नहीं रखा जा सका, जबकि नोएडा में संगम एक नियमित कार्यक्रम बन गए। परंतु , यह भी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं था, जिसके कारण हमें 2014 में एक-के-बाद-एक, दो शरद संगम आयोजित करने पड़े। यद्यपि हर साल दो संगम हमारे संसाधनों, सुविधाओं, और स्वयंसेवकों पर एक अत्यधिक दबाव था, फिर भी हमारी आशा थी कि ये दोनों वार्षिक संगम कम-से-कम अगले दस वर्षों तक भक्तों की बढ़ती संख्या के लिए पर्याप्त होंगे।
किन्तु, चार वर्ष की अल्प अवधि में ही, हमने शरद संगम में प्रतिभागियों की संख्या में इतनी अभूतपूर्व वृद्धि देखी कि 2018 में हमें एक बार फिर भक्तों को संगम में भाग लेने से रोकना पड़ा। इसके अलावा, प्रत्येक संगम में प्रतिभागियों की बड़ी संख्या के कारण आवास, ऑडिटोरियम, भोजन पंडाल, तथा स्नानागार जैसी सुविधाओं पर अत्यधिक दबाव के कारण भक्तों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा था।
भोजन-समय के दौरान भोजन पंडाल के बाहर की कतारें हर साल लंबी होती जा रही थीं। हमें यह भी प्रतिक्रियायें मिलीं कि अधिक भीड़ के कारण, भक्तों को अपने कमरे में ध्यान करना और सोना मुश्किल हो रहा था। वर्ष 2019 में वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष की भारत यात्रा के दौरान भक्तों की विशाल भागीदारी (जहां तीन स्थानों – नोएडा, हैदराबाद, और मुंबई – में इन समारोहों में लगभग 5000 भक्तों ने भाग लिया), ऐसे कार्यक्रमों में प्रतिभागियों की संखा में वृद्धि का एक और प्रमाण था।
इन सभी कारकों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब हम रांची में दो वार्षिक शरद संगमों को उसी रूप में जारी नहीं रख सकते, और एक नवीन दृष्टिकोण से चिंतन-मनन करने की नितांत आवश्यकता है।
काफी प्रार्थनापूर्ण चिंतन-मनन एवं विचार-विमर्श के बाद, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि संगम कार्यक्रम को अधिक सुखद एवं आध्यात्मिक रूप से अधिक लाभदायक बनाने के लिए, अत्यधिक भीड़ तथा आश्रम की सुविधाओं पर अत्यधिक दबाव की समस्या को हल करना होगा। क्योंकि हम रांची आश्रम में उपलब्ध सुविधाओं को बढ़ाते नहीं जा सकते, एकमात्र उपाय यही रह जाता है कि हम संगम जैसे कार्यक्रम अन्य स्थानों पर भी आयोजित करें। हमें यह भी बोध हुआ कि रांची में सुविधाओं पर अत्यधिक बोझ केवल संगमों के दौरान पड़ता है, जबकि वर्ष के बाकी समय ये सुविधाएं पूरी तरह प्रयोग में नहीं आती हैं। और यही स्थिति योगदा के नोएडा एवं दक्षिणेस्वर आश्रमों में भी है। अतः, अगर हम रांची, नोएडा एवं दक्षिणेस्वर आश्रमों में पूरे वर्ष के दौरान कई सारे छोटे-छोटे संगम आयोजित करते हैं, तो हम रांची में दो शरद संगमों में जितने भक्तों को अवसर दे पा रहे हैं, उससे कहीं अधिक भक्तों को हम इन संगमों में भाग लेने का अवसर प्रदान कर सकते हैं; और साथ ही अत्यधिक भीड़, सुविधाओं पर अत्यधिक दबाव, तथा कई सारे स्वयंसेवकों की सेवाओं की आवश्यकता जैसी शरद संगमों से जुड़ी समस्याओं को भी हल कर सकते हैं। इन छोटे संगमों के आयोजन के लिए जो स्थान चुने गए, उनमें हमने शिमला और इगतपुरी में स्थित वाईएसएस के एकांतवासों को भी सम्मिलित किया, क्योंकि वहाँ पर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जो भी आवश्यक है, वे सभी सुविधायें उपलब्ध हैं। अनेक स्थानों पर कई सारे छोटे-छोटे संगमों को आयोजित करने का विचार, अंततः साधना संगमों के रूप में परिणत हुआ, जिसके विवरण नीचे दिये गए हैं। इस परिवर्तन को लाने के पीछे हमारा उद्देश्य मात्र यही है कि हम गुरुदेव के शिष्यों की सेवा और बेहतर कर सकें, योगदा प्रविधियों के अभ्यास को बेहतर करने और ईश्वर के साथ अपने संबंध को और घनिष्ठ करने में उनकी और अधिक सहायता कर सकें।
साधना संगमों के बारे में
1950 में, जब गुरुजी ने कान्वोकेशन की शुरूआत की थी, तब गुरुजी द्वारा कल्पित इसका मुख्य उद्देश्य अपने भक्तों को एक ऐसा आध्यात्मिक अवसर प्रदान करना था, जहां वे एक साथ मिलकर, अपनी साधना में गहरा गोता लगा सकें, और फिर नवीन आध्यात्मिक ऊर्जा से पूर्ण होकर अपने घरों को लौटें, तथा अपने हृदय और मन को ईश्वर में ही केन्द्रित रखकर दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें।
गुरुदेव ने कहा है, “मेरा लक्ष्य मनुष्य की आत्मा में ईश्वर के प्रति प्रेम जगाना है। मैं एक भीड़ से अधिक एक आत्मा को पसंद करता हूं, और मुझे आत्माओं की भीड़ बहुत पसंद है।” गुरुजी ने हमेशा अपने काम की मात्रात्मक वृद्धि के बजाय गुणात्मक वृद्धि पर अधिक बल दिया। वर्ष 2020 के लिए इन साधना संगमों की रूपरेखा एवं योजना बनाते समय, हमने गुरुजी के उपरोक्त मार्गदर्शन को ध्यान में रखा, और यह जानते हुए कि योगदा भक्त प्रति वर्ष बहुत ही आतुरता से संगमों की प्रतीक्षा करते हैं, हमने संगम जैसा ही आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करने का प्रयास किया।
शरद संगमों के समान, ये कार्यक्रम भी योगदा भक्तों को आध्यात्मिक पुनर्नवीकरण के अवसर प्रदान करेंगे, और गुरुदेव की शिक्षाओं के बारे में उन्हें गहनतर समझ प्रदान करेंगे। दोनों के बीच मुख्य अंतर प्रत्येक संगम में प्रतिभागियों की संख्या है। जबकि, प्रत्येक शरद संगम में 1800 से अधिक भक्त शामिल होते थे, अब प्रत्येक साधना संगम में भक्तों की संख्या कुछ सौ तक ही सीमित होगी। फलस्वरूप, प्रत्येक कमरे में कम संख्या में भक्तों को ठहराया जाएगा, जिससे कि प्रत्येक भक्त को रहने के लिए पहले से अधिक जगह मिलेगी। यह योजना शरद संगम में भक्तों द्वारा अनुभव की जाने वाली अनेक समस्याओं को भी समाप्त कर देगी, जैसे कि लंबी कतारें, खाने के पंडाल में अत्यधिक भीड़, और सभागार में बैठने की अपर्याप्त जगह। भक्त हमारे आश्रमों के पवित्र वातावरण और सुंदर उद्यानों का भी अधिक आनन्द ले सकेंगे। चूंकि प्रत्येक कार्यक्रम में भाग लेने वाले भक्तों की संख्या कम होगी, इसलिए प्रत्येक भक्त के लिए संन्यासियों से व्यक्तिगत परामर्श और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करने का अधिक अवसर मिलेगा।
ये साधना संगम मार्च से शुरू होकर दिसंबर 2020 तक हर महीने, केवल मई और जून की तपती गर्मी के महीनों को छोड़कर, आयोजित किये जाएंगे। इनमें वे सभी गतिविधियाँ शामिल होंगी जिन्होंने शरद संगम को इतना आकर्षक और आध्यात्मिक रूप से इतना अधिक फलदायक बनाया, जैसे कि दैनिक सामूहिक ध्यान, ध्यान-प्रविधियों पर कक्षाएं, सत्संग, कॉस्मिक चांट सत्र और वीडियो शो। इनमें से कुछ संगम सभी पाँच स्थानों पर एक साथ आयोजित किये जाएंगे, जबकि कुछ केवल रांची और नोएडा आश्रमों में एक साथ आयोजित होंगे। इन कार्यक्रमों में एक स्थान से अन्य सभी स्थानों पर वरिष्ठ योगदा संन्यासियों के सत्संगों का इंटरनेट द्वारा सीधा प्रसारण भी शामिल होगा ताकि इनमें भाग लेने वाले सभी भक्त उनसे लाभान्वित हो सकें।
ये कार्यक्रम गुरुवार सुबह से शुरू होकर रविवार दोपहर तक समाप्त हो जाएंगे। भक्तों के पास चार अतिरिक्त दिनों तक रहने का विकल्प होगा – वे कार्यक्रम से दो दिन पहले (मंगलवार सुबह तक) आ सकते हैं, और कार्यक्रम समाप्त होने के बाद दो अतिरिक्त दिनों तक (अगले मंगलवार की रात) रुक सकते हैं। गुरुजी के आश्रम/एकांतवास में लगातार आठ दिनों तक रहने पर, भक्तों को आराम, विश्राम और आध्यात्मिक पुनर्नवीकरण के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
पूरे वर्ष में अलग-अलग समय पर तथा एक साथ कई अलग-अलग स्थानों पर एक ही कार्यक्रम आयोजित किए जाने के कारण, भक्तों के पास इनमें से किसी एक को चुनने के अनेक अवसर और विकल्प होंगे। इसके साथ ही, यह योजना भक्तों को प्रदान की गई हमारी सेवा और सुविधाओं की गुणवत्ता से समझौता किए बिना बड़ी संख्या में भक्तों की आवश्यकता को पूरा करने में भी हमें सक्षम बनाती है। वास्तव में, हम इन क्षेत्रों में सुधार की परिकल्पना करते हैं।
प्रारम्भ में, अधिकतर साधना संगमों में प्रविधियों पर कक्षाएं या तो अंग्रेज़ी या हिंदी में होंगी। केवल एक साधना संगम तेलुगू में, और एक बंगला में होगा। परंतु, भविष्य में, हमारे लिए इन संगमों को क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित करना संभव होगा, जिससे भक्तों को अपनी मातृभाषा के संगमों में भाग लेने का अवसर मिल सकेगा। विदित हो कि कुछ साधना संगमों में क्रियायोग दीक्षा समारोह भी आयोजित किये जाएंगे, अत: दीक्षा समारोह में भाग लेने के अवसरों की संख्या भी कहीं अधिक होगी।
पंजीकरण संबन्धित जानकारी
पंजीकरण “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर होगा। हम पंजीकरण के लिए ऑनलाइन, तथा ऑफ़लाइन दोनों ही विकल्प प्रदान करेंगे। कार्यक्रम के विवरण, महीनेवार संगम तिथियों, क्रियायोग दीक्षा समारोहों की तिथियों, और साधना संगमों के पंजीकरण के लिए अन्य प्रासंगिक जानकारी के साथ पूरी जानकारी की घोषणा जनवरी 2020 कर दी गई है। साधना संगम 2020
इस नई पहल को लागू करने की तैयारिया चल रही हैं। इसकी सफलता के लिए आपकी प्रार्थनाओं और सहयोग का अनुरोध करते हैं। नव-वर्ष के आगमन के साथ, ईश्वर के लिए आपके प्रेम और आनंद को एक नवीन स्फूर्ति प्राप्त हो जो आपको ईश्वर और गुरुजनों से और अधिक निकटता का अनुभव करने में सहायक हो। हमारी प्रार्थना और मित्रता सदैव आपके साथ है।
दिव्य मैत्री में,
योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया