इस चुनौतीपूर्ण समय में आध्यात्मिक प्रकाश

आज की डावांडोल एवं अनिश्चित परिस्थितियों से घिरे हुए अनेक व्यक्ति अपने एवं अपने परिवारजनों के लिए सही समझ व मार्गदर्शन खोज रहे हैं।

परमहंस योगानन्दजी की ज्ञान-विरासत में हमें किसी भी उपद्रव या संकट-काल का सामना करने के लिए मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होता है। परमहंस योगानन्दजी एवं उनके महान् शिष्यों के प्रवचनों से संकलित प्रेरणाप्रद व उत्साहवर्धक लिंक आगे दिए जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि इन प्रवचनों में आपको वह प्रेरणा प्राप्त होगी जिससे कि न केवल परमात्मा के संरक्षण एवं शाश्वत प्रेम के प्रति आप में पुनः एक नवीन आस्था का संचार होगा, बल्कि उस ईश्वर-प्रदत्त क्षमता में भी आपका विश्वास पुनरुज्जीवित होगा जिसके बलबूते पर हममें से हर कोई ईश्वर की अमर संतान के रूप में शक्ति, सूझबूझ, व सभी के प्रति करुणा की भावना के साथ इस लोक की यात्रा संपन्न कर पाता है।

अभ्यास में लाने वाली परमहंसजी की प्रेरणाएं

यद्यपि हम वंश, जाति, वर्ण, श्रेणी व राजनैतिक पूर्वाग्रहों से बंटे हुए दिखाई देते हैं तथापि एक परमात्मा के अंश होने के नाते हम अपनी आत्मा में बंधुभाव एवं वैश्विक एकता का अनुभव करते हैं।…हम सब लोग अपने हृदय में घृणा एवं स्वार्थ से मुक्त होना सीख सकते हैं। हम सभी राष्ट्रों के मध्य अमन और शांति के लिए प्रार्थना करें, ताकि वे सभी हाथ मिलाकर एक नई उज्ज्वल सभ्यता के सिंहद्वार में से एक साथ प्रवेश कर सकें।

— परमहंस योगानन्द

अभ्यास हेतु प्रतिज्ञापन : “मैं शांति पूर्वक अपने सभी मानसिक दायित्वों को दूर हटाता हूँ ताकि ईश्वर मेरे माध्यम से अपने सर्वश्रेष्ठ प्रेम, शांति एवं ज्ञान को प्रकट कर सकें।”

भय मुक्ति के लिए एक सरल अभ्यास : भय हृदय से उत्पन्न होता है। यदि आप कभी किसी बीमारी या दुर्घटना के भय पर विजय पाना चाहें, तो आपको गहरे, धीरे-धीरे और लयबद्ध रूप से कई बार साँस लेना और छोड़ना चाहिए और प्रत्येक बार साँस छोड़ने के बाद थोड़ा विश्राम करना चाहिए। यह रक्त संचार सामान्य करने में सहायता करता है। यदि आपका हृदय वास्तव में शांत है तो आप बिल्कुल भी भय का अनुभव नहीं करते।”

नकारात्मक भावनाओं को मुक्त करने की एक प्रविधि

वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि का एक संदेश पढ़ें।

शेयर करें