शारीरिक, मानसिक, एवं आध्यात्मिक स्वस्थता को समर्पित पत्रिका – योगदा सत्संग के ऑनलाइन पेज पर आपका स्वागत है — विश्व की दीर्घतम काल से निरंतर प्रकाशित योग पत्रिकाओं में से एक। आध्यात्मिक गौरव ग्रंथ योगी कथामृत के लेखक परमहंस योगानन्दजी द्वारा सृजित, योगदा सत्संग उच्चतर चेतना के जिज्ञासुओं को योग के कालजयी शाश्वत सत्यों से, आत्मा को परमात्मा से जोड़ने के प्राचीन भारतीय विज्ञान से, और सामंजस्यपूर्ण तथा कल्याणकारी जीवन शैली से परिचित कराती आ रही है।
2021 में, योगदा सत्संग एक मुद्रित और ऑनलाइन पत्रिका का सम्मिश्रण बन गई। पत्रिका का यह नया वर्णसंकर रूप, एक समृद्ध, वर्गीकृत ऑनलाइन सामग्री और एक विशेष वार्षिक मुद्रित एवं डिजिटल अंक प्रस्तुत करता है — और इसने योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया द्वारा उपलब्ध कराई जा रही, मल्टीमीडिया प्रेरक और उपदेश सामग्री की वृहत श्रंखला के समकक्ष अपना स्थान ग्रहण किया है।
पत्रिका के विकास में, इस अगले चरण के साथ, योगदा सत्संग कई हज़ारों को, अपने जीवन को रूपांतरित करने और शरीर, मन व आत्मा के उच्चतम सामर्थ्य को प्राप्त करने के लिए, परमहंस योगानन्दजी द्वारा बताई गई, समय की कसौटी पर जाँची हुई योग प्रविधिओं, और “जीने-की-कला” की व्यवहारिक आध्यात्मिकता को समझने में सहायता करती रहेगी।
जनवरी-मार्च 2021 अंक
योगदा सत्संग पत्रिका के प्राप्तकर्ता वर्तमान अंक को नयी ऑनलाइन लाइब्रेरी पर जा कर पढ़ सकते हैं।
आगामी महीनों में वे एक विशेष ऑनलाइन लाइब्रेरी पर जा सकते हैं जहाँ कई पिछले वर्षों के अंकों की चुनिन्दा प्रेरणाप्रद पठन सामग्री उपलब्ध होगी। इस विशिष्ट ज्ञान-स्रोत में सैंकड़ो पृष्ठ परमहंस योगानन्दजी, श्री दया माताजी तथा अन्य प्रिय लेखकों के होंगे, जिनके शब्दों को पुराने योगदा सत्संग के पाठकों ने चाव से आत्मसात किया था – इसके अतिरिक्त विलक्षण चित्र तथा वाईएसएस की ख़बरें (जोकि अब वाईएसएस का इतिहास बन गयी हैं)।
भारत से पश्चिम पहुंचने और 1920 में सेल्फ़-रियलाईज़ेशन फे़लोशिप की स्थापना के बाद, परमहंस योगानन्द शीघ्र ही अमेरिका के शहरों के दौरे कर, अपनी गुरु परंपरा द्वारा आधुनिक काल में उन्हें सिखाए गए आत्मसाक्षात्कार के प्राचीन विज्ञान क्रियायोग की शिक्षाओं पर कक्षाएं देने लगे। वर्ष 1925 में, यह कहते हुए कि “मैं इस पत्रिका के कॉलम्स के माध्यम से आप सब से संवाद करूंगा “, योगानन्दजी ने दूरदराज़ के शहरों में अपनी कक्षाओं के हज़ारों विद्यार्थियों से नियमित संपर्क में रहने के लिए एक साधन के रूप में अपनी पत्रिका प्रकाशित करनी शुरु की।
योगदा सत्संग अभी तक पाठकों को, परमहंस योगानन्द और उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारियों व आत्मीय शिष्यों द्वारा ध्यान के योग विज्ञान और संतुलित आध्यात्मिक जीवन की कला पर अप्रकाशित वार्ताएं उपलब्ध कराती रही है।
जैसा कि शीर्षक में कहा गया है, योगदा सत्संग, “शारीरिक, मानसिक, एवं आध्यात्मिक स्वस्थता को समर्पित एक पत्रिका है — उचित आहार, सही जीवन-यापन और ईश्वर की सर्वशक्तिमान दिव्य ऊर्जा द्वारा शरीर को पुनः शक्ति प्रदान करके शारीरिक रोगों का निवारण; एकाग्रता, रचनात्मक विचार एवं प्रसन्नता द्वारा मानसिक असंतुलन और अयोग्यता को दूर करना; और ध्यान द्वारा सदा-सम्पूर्ण आत्मा को आध्यात्मिक अज्ञान के बंधनों से मुक्त करना।”
योगदा सत्संग रोचक व तथ्यात्मक लेखों – जो विषयों की एक व्यापक श्रृंखला पर सूक्ष्म दृष्टि प्रदान करते हैं – के साथ प्राचीन ज्ञान एवं आधुनिक सोच का एक अनुपम संगम प्रस्तुत करती है, जिसमें शामिल हैं:
अप्रैल-जून 2020 अंक
“क्या हम वास्तव में एक उन्नत युग में प्रवेश कर रहे हैं?” स्वामी आनंदमय गिरि द्वारा
“अपने भयों का सामना करने का साहस” श्री श्री दया माता द्वारा
“योग और भावनाएं : स्वास्थ्य, प्रसन्नता और आत्मानुभूति के लिए भावनात्मक परिपक्वता” श्री श्री परमहंस योगानन्द द्वारा
“भगवान के प्रेम और आनंद को दिलाने वाली योग साधना” श्री श्री मृणालिनी माता द्वारा
“अनंतता की प्राप्ति : आर्थिक सिद्धांतों के प्रयोग द्वारा अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करना” स्वाति मुखर्जी द्वारा
“ईश्वर की उपस्थिति का अभ्यास” स्वामी भक्तानंद गिरि द्वारा
पिछले कुछ दशकों में हमारी दुनिया ने सूचना व निर्देशों के विश्वव्यापी प्रकाशन व वितरण के ढंग में बहुत बड़ा बदलाव देखा है। व्यापक पटल पर ऑनलाइन मल्टीमीडिया प्रस्तुतियों को बढ़ाने से वाईएसएस के अनुयायियों और नए आध्यात्मिक जिज्ञासुओं की सहायता हुई है — वे अब वाईएसएस/एसआरएफ़ के लिए परमहंस योगानन्दजी के अनुरूप वसुधैव आध्यात्मिक कुटुंब की व्यापकता का अनुभव कर सकते हैं। योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया भी इससे कई प्रकार से विकसित और लाभान्वित हुई है।
इसके साथ ही परमहंस योगानन्द की शिक्षाओं के प्रसार में हाल ही में एक नया मील का पत्थर जुड़ा है। योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया ने, 2019 में, योगदा सत्संग पाठमाला का संपूर्ण और उन्नत संस्करण जारी किया, जिसमें परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं और प्रविधियों की, अभी तक प्रकाशित होने वाली गहनतम प्रस्तुति है, जिन्हें उनके 30 वर्षों से अधिक के संपूर्ण लेखन, व्याख्यानों और भक्तों को दिए व्यक्तिगत निर्देशों से लिया गया है।
इन सब कार्यक्रमों के द्वारा,1925 में प्रकाशित सेल्फ़-रियलाइज़ेशन (योगदा सत्संग ) के पहले अंक के साथ प्रवाहित हुई प्रेरणा की सामान्य धारा कई गुना विस्तृत हो चुकी है और परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं के ज्ञान और प्रेरणा को जिज्ञासुओं तक, अभूतपूर्व स्तर पर उपलब्ध करा रही है, उससे कहीं अधिक, जो उस समय संभव था जब उन्होंने पत्रिका का विमोचन किया।
हमारी साइट पर इन प्रस्तुतियों के बारे में जानने और खोजने हेतु स्क्रॉल करें :
वाईएसएस/एसआरएफ़ ने 2020 से, साप्ताहिक ऑनलाइन सत्संग के साथ निर्देशित ध्यान प्रारंभ किया जिसमें वाईएसएस/एसआरएफ़ के वर्तमान संन्यासियों के साथ-साथ, परमहंस योगानन्दजी के पुराने प्रिय शिष्यों जैसे श्री दया माता, श्री मृणालिनी माता, स्वामी आनंदमय गिरि और अन्य शामिल हैं। ये वीडियो स्थायी रूप से एसआरएफ़ और वाईएसएस वेबसाइट व यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध हैं।
वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्षों — परमहंस योगानन्द के आध्यात्मिक उत्तराधिकारियों — के सत्संग और वर्तमान संदेश, योगदा सत्संग पत्रिका की मुख्य विशेषता रहे हैं। वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द गिरि की अंतर्दृष्टि तथा प्रेरणा हमारे ब्लॉग तथा हमारी पत्रिका के वार्षिक मुद्रित अंक पर उपलब्ध कराने द्वारा यह परंपरा जारी है। साथ ही स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा संचालित ध्यान-सत्र के वीडियो भी उपलब्ध हैं।
बहुत से भक्तों को साल भर, योगदा सत्संग पत्रिका में “वाईएसएस सूचनाएं” अनुभाग बहुत रुचिकर लगता रहा है। आप वाईएसएस के विषय में अद्यतन जानकारी नियमित रूप से — बहुत से चित्रों व वीडिओ के साथ — हमारे ब्लॉग के सूचनाएं अनुभाग पर पढ़ सकते हैं। इसके अतिरिक्त, साल भर की विशिष्टताएं वार्षिक मुद्रित अंक में प्रकाशित होंगी।
2021 में, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया ने वाईएसएस ऑनलाइन ध्यान केंद्र का उद्घाटन किया जिस पर वाईएसएस/एसआरएफ़ शिक्षाओं के अनुयायियों— और जो भी ध्यान मार्ग पर नये हैं – सभी के लिए दैनिक सामूहिक ध्यान-सत्रों की विस्तृत समय-सूची उपलब्ध है। अधिकांश सत्र अनुभवी वाईएसएस भक्तों द्वारा अंग्रेज़ी व हिन्दी में संचालित किए जाते हैं। साथ ही, साप्ताहिक सामूहिक ध्यान-सत्र वाईएसएस संन्यासियों द्वारा संचालित किए जाते हैं।
जो लोग योगदा सत्संग पत्रिका की प्रेरणा, योगी कथामृत के अगाध सत्य और वाईएसएस के “जीने-की-कला” सिद्धांतों व ध्यान प्रविधियों को अपने जीवन में उतारना चाहते हैं, उनके लिए परमहंस योगानन्द ने योगदा सत्संग पाठमाला की रचना की – एक “घर-पर-अध्ययन” का संपूर्ण पाठ्यक्रम जो ध्यान के विज्ञान और संतुलित जीवन जीने की कला पर, उनके गहन व्यक्तिगत निर्देश प्रस्तुत करता है। अधिक जानकारी के लिए, और इस आनंदमयी रूपांतरण की यात्रा प्रारंभ करने के लिए निम्न लिंक पर जाएं:
आप नए प्रथम वार्षिक अंक को डेवोटी पोर्टल या ऑनलाइन बुकस्टोर के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
पत्रिका के पुराने अंक जो अभी भी उपलब्ध हैं, वाईएसएस बुकस्टोर पर खरीदें।
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