परमहंस योगानन्द
आध्यात्मिक गौरव ग्रंथ योगी कथामृत के सुप्रसिद्ध लेखक, परमहंस योगानन्दजी ने 1917 में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की ताकि सभी संस्कृतियों और राष्ट्रीयताओं के लोगों तक क्रियायोग की ध्यान प्रविधि और “जीने की कला” शिक्षाएं व्यापक रूप से पहुँच सकें जिससे वे अपनी आत्मा की सुंदरता, कुलीनता और दिव्यता को पूर्णतया अनुभव एवं व्यक्त करने में सक्षम हो सकें।
भगवद्गीता का योग विज्ञान
परमहंस योगानन्दजी की पुस्तक “The Yoga of the Bhagavad Gita” का हिन्दी रूपान्तरण अब उपलब्ध है।
योगदा सत्संग पाठमाला
योगदा सत्संग पाठमाला का अग्रेंज़ी संस्करण अब एक नये परिष्कृत और विस्तारित रूप में उपलब्ध है। इस संस्करण का हिंदी अनुवाद किया जा रहा है और यह कुछ समय बाद उपलब्ध होगा। इस दौरान उत्सुक साधक पाठमाला के पूर्व संस्करण का हिंदी अनुवाद आवेदन कर प्राप्त कर सकते हैं।
Solving The Mystery of Life — प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध!
परमहंस योगानन्द के संकलित प्रवचन एवं आलेख शृंखला का चौथा खंड (अंग्रेजी में) अब हमारे ऑनलाइन बुकस्टोर से प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध है।
संचालित कार्यक्रम
हम आपको वाईएसएस संन्यासियों द्वारा संचालित ऑनलाइन और वैयक्तिक ध्यान-सत्र, रिट्रीट और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।
2026 वॉल कैलेंडर — अब उपलब्ध है!
2026 के वॉल कैलेंडर में भगवान् कृष्ण को वृन्दावन में बालरूप में दर्शाया गया है। यह परिवार, मित्रों और परिचितों के लिए एक यादगार उपहार हो सकता है।
ब्लॉग
QUOTE OF THE DAY
Courageअक्टूबर 18
The wise devotee should be cautious, rather than afraid. He should cultivate a courageous spirit, without rashly exposing himself to conditions that may arouse apprehensions.
– Sri Sri Paramahansa Yogananda
“Yogoda Satsanga Magazine”
आज का विचार
साहसअक्टूबर 18
बुद्धिमान साधक को भयभीत रहने के बजाय सतर्क रहना चाहिये। उसे साहसिक प्रवृत्ति को विकसित करना चाहिये, परन्तु स्वयं को संकटकारी परिस्थितियों में लापरवाहीपूर्वक असुरक्षित नहीं छोड़ देना चाहिये।
— श्री श्री परमहंस योगानन्द,
“योगदा सत्संग” पत्रिका
આજે ધ્યાનમાં
હિંમતअक्टूबर 18
સમજદાર ભક્તે ભયભીત રહેવા કરતાં સાવધાન રહેવું જોઇએ. તેમણે પોતાની જાતને ભયગ્રસ્ત પરિસ્થિતિઓને અવિચારીપણે છોડી દીધા વિના હિંમતપૂર્ણ અભિગમ વિકસિત કરવો જોઇએ.
-શ્રી શ્રી પરમહંસ યોગાનંદ,
“Yogoda Satsanga Magazine”
இன்றைய தத்துவம்
துணிவுअक्टूबर 18
விவேகமான பக்தன் பயப்படுவதை விட எச்சரிக்கையுடன் இருக்க வேண்டும். அவன் பயத்தை உண்டாக்கக் கூடிய சூழ்நிலைகளுக்கு தன்னை மூர்க்கத்தனமாக ஆட்படுத்திக் கொள்ளாமல், துணிவு பாவத்தை வளர்த்துக் கொள்ள வேண்டும்.
-ஸ்ரீ ஸ்ரீ பரமஹம்ஸ யோகானந்தர்,
“Yogoda Satsanga Magazine”
నేటి సూక్తి
ధైర్యంअक्टूबर 18
వివేకవంతుడైన సాధకుడు జాగరూకతతో ఉండాలి, భయంతో కాదు. అతడు తొందరపాటుతో సంకట పరిస్థితులు కల్పించుకోకుండా, సాహస ప్రవృత్తిని పెంపొందించుకోవాలి.
– శ్రీ శ్రీ పరమహంస యోగానంద,
“Yogoda Satsanga Magazine”
আজকের বাণী
সাহসিকতাअक्टूबर 18
ভীত না হয়ে বুদ্ধিমান ভক্তের উচিত সাবধানী হওয়া। আশঙ্কা সৃষ্টি করতে পারে এমন অবস্থার মধ্যে অবুঝের মত নিজেকে অরক্ষিত না করে তার উচিত হবে সাহসী মানসিকতা গড়ে তোলা।
— শ্রীশ্রী পরমহংস যোগানন্দ,
“যোগদা সৎসঙ্গ’’ পত্রিকা
आजचा सुविचार
धैर्यअक्टूबर 18
सूज्ञ भक्ताने भयभीत होण्याऐवजी सावध व्हायला हवे. भयाला कारणीभूत होईल अशा परिस्थितीत अविचाराने स्वत:ला न ढकलता, त्याने धैर्यवृत्ती जोपासायला हवी.
—श्री श्री परमहंस योगानंद,
“Yogoda Satsanga Magazine”
ഇന്നത്തെ ഉദ്ധരണി
ധീരതअक्टूबर 18
ബുദ്ധിമാനായ ഭക്തൻ ഭയപ്പെടുകയല്ല, മുൻകരുതലുകൾ എടുക്കുകയാണ് വേണ്ടത്. ഭയാശങ്കകൾ ഉണർത്തുന്ന സാഹചര്യങ്ങൾക്ക് സ്വയം വിധേയനാകാതെ, ധൈര്യത്തിന്റെ ഒരു മനോഭാവം ഉണ്ടാക്കിയെടുക്കുകയാണ് അയാൾ ചെയ്യേണ്ടത്.
– ശ്രീ ശ്രീ പരമഹംസ യോഗാനന്ദൻ,
“Yogoda Satasanga Magazine “
ಇಂದಿನ ಸೂಕ್ತಿ
ಧೈರ್ಯअक्टूबर 18
ವಿವೇಕವುಳ್ಳ ಭಕ್ತನು ಹೆದರುವುದರ ಬದಲು ಜಾಗರೂಕನಾಗಿರಬೇಕು. ಅವನು ಧೈರ್ಯದ ಸ್ವಭಾವವನ್ನು ಬೆಳೆಸಿಕೊಳ್ಳಬೇಕು. ಆದರೆ ಆತಂಕ ತರುವ ಸನ್ನಿವೇಶಗಳಿಗೆ ತನ್ನನ್ನು ದುಡುಕಿನಿಂದ ಒಡ್ಡಿಕೊಳ್ಳದಂತೆ ಇರಬೇಕು.
— ಶ್ರೀ ಶ್ರೀ ಪರಮಹಂಸ ಯೋಗಾನಂದ,
“Yogoda Satsanga Magazine”