परमहंस योगानन्द
आध्यात्मिक गौरव ग्रंथ योगी कथामृत के सुप्रसिद्ध लेखक, परमहंस योगानन्दजी ने 1917 में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की ताकि सभी संस्कृतियों और राष्ट्रीयताओं के लोगों तक क्रियायोग की ध्यान प्रविधि और “जीने की कला” शिक्षाएं व्यापक रूप से पहुँच सकें जिससे वे अपनी आत्मा की सुंदरता, कुलीनता और दिव्यता को पूर्णतया अनुभव एवं व्यक्त करने में सक्षम हो सकें।
भगवद्गीता का योग विज्ञान
परमहंस योगानन्दजी की पुस्तक “The Yoga of the Bhagavad Gita” का हिन्दी रूपान्तरण अब उपलब्ध है।
योगदा सत्संग पाठमाला
योगदा सत्संग पाठमाला का अग्रेंज़ी संस्करण अब एक नये परिष्कृत और विस्तारित रूप में उपलब्ध है। इस संस्करण का हिंदी अनुवाद किया जा रहा है और यह कुछ समय बाद उपलब्ध होगा। इस दौरान उत्सुक साधक पाठमाला के पूर्व संस्करण का हिंदी अनुवाद आवेदन कर प्राप्त कर सकते हैं।
Solving The Mystery of Life — प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध!
परमहंस योगानन्द के संकलित प्रवचन एवं आलेख शृंखला का चौथा खंड (अंग्रेजी में) अब हमारे ऑनलाइन बुकस्टोर से पूर्व आदेश के लिए उपलब्ध है।
संचालित कार्यक्रम
हम आपको वाईएसएस संन्यासियों द्वारा संचालित ऑनलाइन और वैयक्तिक ध्यान-सत्र, रिट्रीट और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।
2026 वॉल कैलेंडर — अब उपलब्ध है!
2026 के वॉल कैलेंडर में भगवान् कृष्ण को वृन्दावन में बालरूप में दर्शाया गया है। यह परिवार, मित्रों और परिचितों के लिए एक यादगार उपहार हो सकता है।
ब्लॉग
QUOTE OF THE DAY
Simplicityनवम्बर 8
Everything has its place, but when you waste time at the cost of your true happiness it is not good. I dropped every unnecessary activity so that I could meditate and try to know God, so that I could day and night be in His divine consciousness.
– Sri Sri Paramahansa Yogananda
“Yogoda Satsanga Magazine”
आज का विचार
सादगीनवम्बर 8
प्रत्येक वस्तु का अपना स्थान होता है, परन्तु जब आप अपने सच्चे सुख की उपेक्षा कर समय गंवाते हैं तो यह अच्छा नहीं। मैंने प्रत्येक अनावश्यक कार्य को छोड़ दिया ताकि मैं ध्यान करके ईश्वर को जान सकूँ; ताकि मैं दिन और रात उनके दिव्य चैतन्य में मग्न रह सकूँ।
— श्री श्री परमहंस योगानन्द,
“योगदा सत्संग” पत्रिका
આજે ધ્યાનમાં
સાદાઈनवम्बर 8
પ્રત્યેક વસ્તુને પોતાનું મહત્ત્વ હોય છે, પરંતુ તમે જ્યારે તમારી સાચી પ્રસન્નતાના ભોગે સમય બરબાદ કરો છો તે યોગ્ય નથી. મેં દરેક બિનજરૂરી પ્રવૃત્તિઓને છોડી દીધી છે, કે જેથી હું ધ્યાન કરી શકું, ઈશ્વરને જાણી શકું તથા દિવસ અને રાત એની દિવ્ય ચેતનામાં રહી શકું.
-શ્રી શ્રી પરમહંસ યોગાનંદ,
“Yogoda Satsanga Magazine”
இன்றைய தத்துவம்
எளிமைनवम्बर 8
ஒவ்வொரு பொருளுக்கும் அதனதன் இடம் உண்டு, ஆனால் உங்களுடைய உண்மையான மகிழ்ச்சியை விட்டுவிட்டு, நீங்கள் நேரத்தை வீணாக்கினால் அது நல்ல தல்ல. நான் தியானம் செய்து இறைவனை அறிந்து கொள்ள முயற்சிப்பதற்காகவும், இரவும் பகலும் நான் அவனுடைய தெய்வீக உணர்வில் இருப்பதற்காகவும் ஒவ்வொரு அவசியமற்ற செயலையும் நான் விட்டு விட்டேன்.
-ஸ்ரீ ஸ்ரீ பரமஹம்ஸ யோகானந்தர்,
“Yogoda Satsanga Magazine”
నేటి సూక్తి
సరళతनवम्बर 8
ప్రతి దానికి దానిస్థానం దానికి ఉంది. కానీ, మీ నిజమైన ఆనందాన్ని ఉపేక్షించి సమయం వృథా చెయ్యడం మంచిది కాదు. నేను ధ్యానం చేసి దేవుణ్ణి తెలుసుకునే ప్రయత్నం చెయ్యడానికి, రాత్రి పగలూ ఆయన దివ్య చైతన్యంలో ఉండడానికీ అనవసరమైన కార్యక్రమాలన్నిటినీ త్యజించాను.
— శ్రీ శ్రీ పరమహంస యోగానంద,
“Yogoda Satsanga Magazine”
আজকের বাণী
সরলতাनवम्बर 8
সবকিছুরই একটা নির্দ্দিষ্ট স্থান আছে; তবে প্রকৃত সুখের হানি করে যখন তুমি সময়ের অপচয় করো, কখনই তা শুভ হয় না। আমি যাতে ধ্যান করতে পারি, ঈশ্বরকে জানার ও দিনরাত তাঁর দিব্য ভাবনাতে নিযুক্ত থাকতে পারি, তারজন্যে যাবতীয় অপ্রয়োজনীয় কাজকর্ম আমি দূরে সরিয়ে দিই।
— শ্রীশ্রী পরমহংস যোগানন্দ,
“যোগদা সৎসঙ্গ” পত্রিকা
आजचा सुविचार
साधेपणानवम्बर 8
प्रत्येक गोष्टीला स्वत:चे असे स्थान असते. पण जेव्हा तुम्ही आपल्या खर्या आनंदाची किंमत देऊन आपला वेळ वाया घालविता, ते चांगले नाही. मी प्रत्येक अनावश्यक कृती करणे सोडून दिले, जेणेकरून मी ध्यान करु शकलो आणि ईश्वर जाणण्यासाठी प्रयत्न करु शकलो; आणि दिवसरात्र त्याच्या पवित्र जाणीवेत राहू शकलो.
—श्री श्री परमहंस योगानंद,
“Yogoda Satsanga Magazine”
ഇന്നത്തെ ഉദ്ധരണി
ലാളിത്യംनवम्बर 8
എല്ലാത്തിനും അതിന്റേതായ സ്ഥാനമുണ്ട്. പക്ഷേ നിങ്ങളുടെ യഥാർത്ഥ സന്തുഷ്ടിയ്ക്കു ദോഷം വരുത്തുന്ന നിലയിൽ നിങ്ങൾ സമയം പാഴാക്കുകയാണെങ്കിൽ അത് നല്ലതല്ല. ഈശ്വരനെ അറിയാൻ വേണ്ടി ധ്യാനിക്കുവാനും, രാത്രിയും പകലും അവിടുത്തെ ദിവ്യബോധത്തിൽ ആയിരിക്കാനും വേണ്ടി ഞാൻ എല്ലാ അനാവശ്യമായ പ്രവൃത്തികളും ഉപേക്ഷിച്ചു.
– ശ്രീ ശ്രീ പരമഹംസ യോഗാനന്ദൻ,
“Yogoda Satsanga Magazine”
ಇಂದಿನ ಸೂಕ್ತಿ
ಸರಳತೆनवम्बर 8
ಪ್ರತಿಯೊಂದಕ್ಕೂ ತನ್ನದೇ ಆದ ಸ್ಥಾನವಿರುತ್ತದೆ, ಆದರೆ ನಿಮ್ಮ ನಿಜವಾದ ಸಂತೋಷವನ್ನು ಮೂಲೆಗೊತ್ತಿ ನೀವು ಸಮಯವನ್ನು ವ್ಯರ್ಥವಾಗಿ ಹಾಳು ಮಾಡುವುದು ಒಳ್ಳೆಯದಲ್ಲ. ಧ್ಯಾನ ಮಾಡಿ ಭಗವಂತನನ್ನು ಅರಿಯಲು ಪ್ರಯತ್ನಿಸಬಹುದೆಂದು, ಅವನ ದೈವೀ ಪ್ರಜ್ಞೆಯಲ್ಲಿಯೇ ಹಗಲೂ ರಾತ್ರಿ ಇರಬಹುದೆಂದು ನಾನು ನನ್ನ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಅನವಶ್ಯಕ ಕಾರ್ಯಗಳನ್ನು ಕೈಬಿಟ್ಟೆ.
— ಶ್ರೀ ಶ್ರೀ ಪರಮಹಂಸ ಯೋಗಾನಂದ,
“Yogoda Satsanga Magazine”
















