सर्वव्यापी क्राइस्ट के लिए हिंडोला

परमहंस योगानन्दजी द्वारा

आने वाले क्रिसमस पर्व के अवसर पर, उदात्त भक्ति भाव का एक नया द्वार खोलिए जिससे सर्वव्यापी क्राइस्ट आपकी चेतना में नए रूप में अवतरित हो सकें। प्रतिदिन, प्रत्येक घड़ी, प्रत्येक सुनहरी क्षण में क्राइस्ट आपके अज्ञान के द्वार खटखटा कर खोलने की प्रतीक्षा करते रहे हैं। अब, इस महान् पवित्र भोर की बेला में, आप की आंतरिक हृदय की पुकार को सुनकर, क्राइस्ट विशिष्ट रूप से अवतरित हो रहे हैं ताकि आप में सर्वव्यापी क्राइस्ट की चेतना जागृत हो सके।

कोमल अनुभूतियों के हिंडोले को अपने ध्यान के ताने-बाने से बुनिए और उसे इतना विशाल कर लीजिए जिससे असीम शिशु सत्कार सहित, आपकी चेतना में समा सके। क्राइस्ट हरे-भरे मृणालों पर अवतरित होते हैं; उनकी मंगलकारी शुभ विद्यमानता सभी सुगंधियों में झूलती है। सागरों से अलंकृत इंद्रधनुषी भूमंडल, सितारों से झिलमिल नीला अंतरिक्ष का प्रांगण, आत्म बलिदान करने वाले शहीदों व संतों का सिंदूरी प्रेम, परस्पर प्रतिस्पर्धा करते रहे हैं, इस सर्वव्यापी क्राइस्ट शिशु को अंगीकार करने के लिए।

यह सर्वव्यापी क्राइस्ट अमरता के वक्षस्थल पर निद्रा में विलीन है; वह कभी, भी कहीं भी, जन्म लेना पसंद करता है विशेषकर आपके सच्चे स्नेह की ऊष्मा से आकर्षित होकर। यद्यपि निःसीम क्राइस्ट अंतरिक्ष के कण-कण में विद्यमान है, चिर नवीन ज्ञान के ऐश्वर्य व सृजनात्मक अभिव्यक्ति के रूप में, आप उन्हें कभी नहीं देख सकते, जब तक वह स्वयं आपके सतत भक्ति भाव के हिंडोले में बैठना पसंद नहीं करते।

आपके हृदय का नरम आरामदायक पालना लंबे समय से स्वार्थपरायणता से संकीर्ण रहा है; अब आपको इसे उदार बनाना चाहिए जिससे सामाजिक, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, जीव-जंतु जगत का तथा विश्वव्यापी क्राइस्ट का प्रेम उसमें जन्म ले सके और मात्र शुद्ध प्रेमभाव में परिणत हो जाए।

क्रिसमस पर्व केवल त्यौहार की औपचारिक तामझाम एवं उपहारों के लेनदेन से ही नहीं मनाया जाना चाहिए, बल्कि गहरे नियमित ध्यान से भी मनाया जाना चाहिए, जिससे आपकी चेतना क्राइस्ट के स्वागत में विश्वव्यापी गिरजाघर में रूपांतरित हो सके। इसके अंदर आपको अपने सबसे मूल्यवान उपहार प्रेम, शुभकामना, शत्रुओं के उद्धार के साथ-साथ मित्र एवं बंधुओं के — भौतिक, मानसिक व आध्यात्मिक कल्याण के लिए उदारता पूर्वक अपनी सेवा, अर्पित करनी चाहिए।

अपरिमित क्राइस्ट सर्वत्र विद्यमान हैं; उनके जन्म या अवतरण को हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों, मुस्लिमों, यहूदियों व अन्य सच्चे संप्रदाय के उपासना गृह में मनाइए। सत्य की प्रत्येक अभिव्यक्ति सर्वव्यापी क्राइस्ट के ज्ञान से निःसृत होती है, अतः उस पवित्र विश्वव्यापी पवित्रता की प्रत्येक शुद्ध धर्म, विश्वास और शिक्षा में उपासना करना सीखिए। क्योंकि विश्वव्यापी क्राइस्ट ने मनुष्य रूपी दिव्य प्राणी को संकल्पपूर्वक रचा, अतः आपको क्राइस्ट का जन्मदिवस प्रत्येक देश व जाति के प्रति समान प्रेम के नवीन जागृत बोध के साथ मनाना चाहिए।

सभी नए खिले फूल व सूक्ष्म जगत के झिलमिल तारे, असीम क्राइस्ट के प्रतिबिंब हैं; सभी को अपने प्रेम से भूषित कीजिए। अपने उदार प्रेम में उन्नत करने वाले क्राइस्ट के प्रेम की, अपने माता-पिता, मित्र, संबंधियों, पड़ोसियों और सभी जातियों के प्रति अनुभूति कीजिए। अपनी आत्मा के अभयारण्य में अपने अशांत विचारों को आमंत्रित कीजिए, उन्हें शांत कर क्राइस्ट के प्रति अति गहन प्रेम सहित उनकी सेवा करने के लिए।

जब क्रिसमस के उपहार परिवार-वृक्ष को समर्पित किए जाते हैं, क्राइस्ट की वेदिका पर अपना प्रत्येक विचार समर्पित कीजिए और हर उपहार को शुभकामनाओं से संतृप्त कीजिए। संपूर्ण सृष्टि में अवतरित क्राइस्ट की उपासना कीजिए: सितारों में, पत्तियों में, फूलों में, बुलबुल में, फूलों के गुच्छे में और अपने सुकोमल भक्तिभाव में। अपने हृदय को सबके हृदय के साथ एक कर लीजिए जिससे वहाँ क्राइस्ट अवतरित हो सकें और सदा सदा के लिए निवास कर सकें।

(परमहंस योगानन्दजी की पुस्तक The Second Coming of Christ: The Resurrection of the Christ Within You से उद्धृत सारांश)

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