नववर्ष 2010 पर श्री श्री दया माता का संदेश

“हमारे प्रत्येक विचार और संकल्प के पीछे ईश्वर की अनंतता व्याप्त है। उसे ढूँढो, आपको पूर्ण विजय प्राप्त होगी।”

— श्री श्री परमहंस योगानन्द

नववर्ष 2010

नववर्ष में प्रवेश करते हुए, हम सब गुरुदेव परमहंस योगानन्दजी के आश्रमों से अपने विश्वभर में फैले आध्यात्मिक परिवार तथा मित्रों को प्रेम पूर्ण शुभकामनायें प्रेषित करते हैं। क्रिसमस के समय आपके द्वारा स्मरण किये जाने, तथा पूरे वर्ष भर आप अनेकों विधाओं से जो संस्था के लिए सत्कार्य करते हैं, हम उन सब के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद देते हैं। दिव्य मित्रता, ईश्वर के सर्वोच्च आशीर्वादों में से एक है, और हम आप को आमंत्रित करते हैं, सम्मिलित प्रार्थना द्वारा उस मित्रता को सभी से बाँटने के लिए, ताकि सर्वत्र उनकी संतानों में और अधिक शांति तथा सामंजस्य स्थापित हो।

नए आरंभ की यह ऋतु हमें अपने सपनों और आकांक्षाओं को पुनर्जीवित करने, और नए विश्वास के साथ उन्हें प्राप्त करने की हमारी क्षमता का एक नवीन अवसर लाती है। यह समय, दृढ़ता से उन सकारात्मक परिवर्तनों के मानसदर्शन करने का है, जिन्हें हम अपने जीवन में लाना और इस संसार में प्रकट होते हुए देखना चाहते हैं, क्योंकि विचार शक्ति से ही हर सार्थक उपलब्धि का जन्म होता है। हम जो रूपरेखाएं अपने मन में बनाते हैं, हमारे भाग्य को और हमारे आस पास वालों के जीवन को प्रभावित करती हैं। आइये हम सचेत रूप से सकारात्मक, प्रेमपूर्ण और विश्वास-प्रेरक विचारों का चयन करें, ताकि हम अपने अस्तित्त्व के अनंत स्रोत के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकें तथा स्वयं में और अन्य सभी मे अंतर्निहित सर्वश्रेष्ठ गुणों की अभिव्यक्ति कर सकें।

हमारे शुभ निश्चयों को मूर्त रूप देने के लिए दृढ़ निश्चय एवं सतत इच्छा शक्ति का निरंतर उपयोग करने की आवश्यकता होती है। प्रत्येक दिन और हर एक क्षण हो रही घटनाएँ हमारे समक्ष एक चुनाव प्रस्तुत करती है : हम अपने विचारों और कार्यों को ईश्वर से सम्बद्ध करें अथवा भ्रमित करने वाली माया जाल में उलझ जाएं। माया हमें पुरानी परिपाटी पर चलते रहने, और अपने अहंकार की सीमाओं में ही जकड़े रहने का प्रलोभन देती है। किन्तु आपको यह स्मरण रखना चाहिए कि आप असीमित साधनों से परिपूर्ण एक आत्मा हैं। जब आप एक व्यवहारिक, शुभ लक्ष्य का चुनाव करते हैं और अपनी सक्रिय इच्छा शक्ति से अपने प्रयासों को क्रियाशील करते हैं, तो आप को कुछ भी सफल होने से नहीं रोक सकता। यह गुरुदेव द्वारा व्यक्त किया गया अदम्य संकल्प था। उनकी शब्दवाली और उनकी चेतना में “यह नहीं हो सकता” शब्द का कोई स्थान ही नहीं था, और वे अपने मन की शक्ति के संवर्धन से अपने संकल्पों को साकार करने के लिए दूसरों को भी प्रोत्साहित करते थे ।

चाहे परिस्थितियाँ या आंतरिक प्रतिरोध आपके बदलने के प्रयासों में बाधा डालें, तो भी आप अपनी अंतरात्मा की स्वतंत्रता से यह निर्णय ले सकते हैं कि आप के लिए सर्वोत्तम क्या है। आपको मात्र अपने ऊपर ही निर्भर रहना आवश्यक नहीं, क्योंकि आपकी मानवीय इच्छा शक्ति के पीछे ईश्वर की सर्वशक्तिमान इच्छा शक्ति है और उनका प्रेम आपको पोषित कर रहा है। उनमें विश्वास रखो, जो आपकी मानवीय दुर्बलताओं के परे आपकी आत्मा की असीम क्षमताओं को जानते हैं, और गुरुदेव के वचनों को हृदय में धारण करो, “यदि आप ईश्वर की अक्षय प्रकृति से सामंजस्य स्थापित कर लें, तो जैसे ईश्वर कुछ भी कर सकते हैं, आप भी कुछ भी कर सकते हैं।” जैसे आप सभी विचारों और भावनाओं के परे शांति में ईश्वर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए प्रतिदिन समय निकालते हैं, तो ईश्वर करे कि आप को उनकी आच्छादित करने वाली उपस्थिति का ज्ञान हो, और आप यह भी जानें कि वह सदा से प्रेमपूर्वक आपकी सहायता कर रहे हैं।

आपको एवं आपके प्रियजनों को ईश्वर के आशीर्वादों सहित नव वर्ष की शुभकामनायें,

श्री दया माता

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