पृथ्वी पर शांति के लिए एक प्रार्थना

वर्षों पहले, परमहंस योगानन्द ने निम्नलिखित "पृथ्वी पर शांति के लिए प्रार्थना", एक निर्देशित ध्यान दिया था जिसका उपयोग दुनिया भर में शांति फैलाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। 60 साल से भी पहले परमहंसजी द्वारा दिए गए भगवान् के आशीर्वाद रूपी इस शक्तिशाली आह्वान का परिचय देते हुए, श्री दया माता ने लिखा : मैं आज उन हज़ारों भक्तों से कहती हूँ, जो सेल्फ-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (योगदा सत्संग) की विश्वव्यापी प्रार्थना मण्डली में भाग लेते हैं, कि वे सब मनुष्यों एवं सब देशों में विश्वशान्ति एवं सद्भाव के लिए नित्य प्रार्थना कर परमहंसजी के सामयिक शब्दों की भावना से जुड़ जाएं। — श्री श्री दया माता

“हे परमपिता, जगन्माता, सखा, प्रियतम प्रभु! आपका प्रेम मेरी भक्ति की वेदी पर सदा आलोकित रहे, और यही प्रेम में सभी हृदयों में जागृत कर सकूँ।”

अपनी आँखें बंद करिये और भृकुटियों के बीच स्थित दिव्य चेतना के केन्द्र पर गहराई से ध्यान केन्द्रित करिये। अपने हृदय में ईश्वर के असीम प्रेम का अनुभव करिये। आपके हृदय से समस्त संसार के लिये प्रेम का निस्सरण होने दीजिये। गम्भीरता से प्रार्थना करिये कि युद्ध के बाबूल लुप्त हो जायें। हम अपने सम्पूर्ण हृदय से ईश्वर से प्रार्थना करें कि उनके अच्छाई एवं प्रेम के बल, जो व्योम में सदा सूक्ष्म रूप से कम्पायमान रहते हैं, मनुष्यों के हृदय एवं मन में शैतान के मनमुटाव एवं शत्रुता के सुझावों से पराजित न हो जायें। क्योंकि बुराई के बल आक्रामक होते हैं, जबकि भलाई के बल विनम्र एवं निरहंकारी होते हैं।

“परमपिता, युद्ध के काले बादलों के नीचे रहने वाले हमारे भाईयों एवं बहनों को आशीर्वाद दीजिये कि वे शैतान के अज्ञान एवं घृणा के सम्मोहन से मुक्ति पा सकें और आपकी एकता में बाँधने वाली प्रेम एवं शान्ति की निराभिमानी शक्ति बुराई के आक्रामक बलों पर विजय पा सके। हम सब व्यक्तियों के लिये अपना सर्वाधिक गहरा प्रेम भेजते। हैं जिससे वे भाईचारे एवं विवेक के आपके प्रकाश को प्राप्त कर सकें, और उसके द्वारा एक दूसरे का नाश करने एवं सारे संसार में अवसाद, विध्वंस एवं विनाश के सामूहिक कर्मों को जन्म देने वाले बुराई के स्पन्दनों को उत्पन्न करने की अपनी प्रवृत्ति का नाश करने हेतु मार्गदर्शन पा सकें।”

ऐसा अनुभव करिये कि आपका प्रेम अदृश्य एक्स-रे की भाँति आगे बढ़ रहा है, आकाश से बहता हुआ सब देशों के तानाशाहों, प्रधान मन्त्रियों एवं राष्ट्राध्यक्षों के हृदय में प्रवेश कर रहा है जिससे वे पृथ्वी पर विनाश के स्थान पर शान्ति एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्पन्नता ला सकें। अपने प्रेम के शक्तिशाली विकरण में संसार के सब व्यक्तियों को सम्मिलित कर लीजिये। हमारी संयुक्त मेल कराने वाली प्रेम की किरणें हमारे परमपिता के असीम प्रेम से आवेशित होकर सारी पृथ्वी को नहला दें, सारे नेताओं एवं संसार के सब नागरिकों के हृदयों में व्याप्त हो जाये, जिससे वे ईश्वर के विश्वव्यापक सौहार्द एवं मित्रभाव से ओतप्रोत हो कर पृथ्वी पर ईश्वर के पितृत्व में शान्ति और सबके प्रति सद्भाव को स्थापित कर सकें।

“परमपिता, हमारे अपने वृहत परिवार, पृथ्वी के सब राष्ट्रों को, यह आशीर्वाद दीजिये कि सब व्यक्ति आपके बच्चों के रूप में अपनी शाश्वत बन्धुता को जान पायें। आप हमारे एकमात्र आध्यात्मिक पिता हैं, समस्त विश्व के प्रियतम एवं हमारे हृदयों के प्रियतम हैं। आज प्रेम के जिन सशक्त विचारों का हम प्रसारण कर रहे हैं वे तानाशाहों एवं सेनापतियों के मस्तिष्कों पर पूर्ण अधिपत्य जमा लें जिससे वे आपके ज्ञान से भर जायें, और इस प्रकार संपूर्ण मानवजाति के सामूहिक विनाश करने के अपने प्रयासों का परित्याग कर सकें। उन सबको आशीर्वाद दीजिये। पृथ्वी के समस्त नागरिकों को यह आशीर्वाद दीजिये कि वे सब आत्माओं में परस्पर सहयोग से एकता स्थापित कर सकें, और एक ऐसे संयुक्त संसार में रहें जहाँ आपकी शक्ति एवं प्रेम का प्रकाश आपके राज्य तक पहुँचने में हमारा मार्गदर्शन करता रहे।”

ॐ। शान्ति। आमेन।

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