परमहंस योगानन्दजी के वचन, “जो भक्त मानते हैं कि मैं उनके निकट हूँ, मैं उनके निकट होता हूँ,” पर आधारित एक आध्यात्मिक सत्संग में, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के संन्यासी स्वामी चैतन्यानन्द गिरि बताते हैं कि एक भक्त कैसे एक सद्गुरु — जो सर्वव्यापी, सर्वज्ञ, और ईश्वर के साथ एकाकार हैं — के सहयोग और दिशानिर्देश से आध्यात्मिक पथ पर सफलता प्राप्त कर सकता है।
हम आपको इस हिन्दी सत्संग को देखने के लिए सादर आमंत्रित करते हैं, जिसका शीर्षक है “एक सद्गुरु का वचन : ‘जो भक्त मानते हैं कि मैं उनके निकट हूँ, मैं उनके निकट होता हूँ’” ताकि आप चुनौतियों से भरे माया (भ्रम) के संसार में शिष्य को मार्ग दिखाने में गुरु की महत्त्वपूर्ण भूमिका को समझ सकें। हालांकि गुरु भौतिक रूप में शारीरिक रूप से विद्यमान न भी हों, गुरु में अडिग विश्वास और उनके साथ समस्वरता स्थापित करके, तथा गुरु-प्रदत्त साधना का पालन करके, एक सच्चा शिष्य तीव्रता से परमात्मा की ओर प्रगति करेगा।
धर्मग्रंथों से प्रेरणादायक कहानियाँ सुनाते हुए, स्वामी चैतन्यानन्द बताते हैं कि कैसे एक सद्गुरु भक्तों के पूर्व कर्मों का एक अंश ले लेते हैं और यदि शिष्य लड़खड़ा भी जाएं तब भी गुरु निरंतर उन्हें सहारा देते हैं।
इस सत्संग का सीधा प्रसारण फरवरी 2022 में राँची स्थित योगदा सत्संग शाखा मठ से किया गया था, और यह सत्संग अब देखने के लिए उपलब्ध है।
आप इन्हें भी देख सकते हैं :
- हमारी आध्यात्मिक साधना में गुरु की भूमिका
- गुरु-शिष्य संबंध, परमहंस योगानन्द द्वारा
- पढ़ें : “गुरु-शिष्य संबंध,” श्री श्री मृणालिनी माता द्वारा
- एक सद्गुरु की सहायता पर परमहंस योगानन्द का बोधप्रद मार्गदर्शन
- सुनें : “The Guru: Messenger of Truth,” श्री श्री मृणालिनी माता द्वारा
- सुनें : “The Importance of a True Guru,” श्री श्री मृणालिनी माता द्वारा