
“अमेरिका! निश्चय ही ये लोग अमेरिकी हैं!” मेरे मन में यही विचार उठा जब मेरी अंतर्दृष्टि के सामने से पाश्चात्य चेहरों की लम्बी कतार गुज़रने लगी।
राँची में अपने विद्यालय के भंडार गृह में कुछ धूल-धूसरित पेटियों के पीछे मैं ध्यानमग्न बैठा था। बच्चों के बीच व्यस्तता के उन वर्षों में एकान्त स्थान मिलना बहुत कठिन था!
ध्यान में वह दृश्य चलता रहा। एक विशाल जनसमूह मेरी ओर आतुर दृष्टि से देखते हुए मेरी चेतना के मंच पर अभिनेताओं की तरह मेरे सामने से गुज़र रहा था।
इतने में भंडार गृह का द्वार खुल गया। सदा की तरह एक बच्चे ने मेरे छिपने के स्थान को खोज लिया था।
“यहाँ आओ, विमल,” प्रफुल्ल मन से मैंने उसे बुलाया। “तुम्हें एक समाचार सुनाता हूँ; भगवान् मुझे अमेरिका बुला रहे हैं।”
1950 के दशक में, इसी स्थान पर एक छोटा ध्यान मन्दिर बनाया गया था ताकि उस दिव्य दर्शन की स्मृति को सम्मानित किया जा सके, जिसने योगानन्दजी को उनके विश्वव्यापी मिशन के तहत पश्चिम की ओर प्रेरित किया। इस मन्दिर में 1960 के दशक में एक बार और 1980 के दशक में फिर से संशोधन किया गया।
श्री दया माताजी चाहती थीं कि योगानन्दजी को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि के रूप में इस पवित्र स्थल पर एक विशेष मन्दिर का निर्माण किया जाए।
स्मृति मन्दिर की आधारशिला स्वामी भावानन्द गिरि, पूर्व वाईएसएस धर्माचार्य, द्वारा योगानन्दजी के जन्मदिवस पर 1993 में रखी गई थी। इस दिव्य परियोजना के लिए राजस्थान से अनुभवी कारीगरों की एक टीम को बुलाया गया; उनका कार्य गुंबद और स्तंभों को संगमरमर के पत्थरों से तराशना था। एक अन्य टीम, जो जड़ाई के कार्य में विशेषज्ञ थी, को वेदी और कमल के फूलों को बनाने का कार्य सौंपा गया।
22 मार्च 1995 को, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) की स्थापना की 78वीं वर्षगांठ के अवसर पर, राँची के योगदा सत्संग शाखा मठ में महान् गुरु की स्मृति में सफेद संगमरमर का एक सुंदर स्मृति मन्दिर समर्पित किया गया। स्वामी आनन्दमय गिरि, जो गुरुजी के द्वारा दीक्षित शिष्यों में से एक थे, ने इस स्मृति मन्दिर को 1,200 से अधिक भक्तों और अतिथियों की उपस्थिति में सभी के व्यक्तिगत ध्यान के लिए खोलते हुए इसका उद्घाटन किया। इस विशेष अवसर को मनाने के लिए एक सप्ताह तक चलने वाला कार्यक्रम, स्मृति मन्दिर समर्पण संगम, आयोजित किया गया।
1995 में इसके लोकार्पण के बाद से, स्मृति मन्दिर ने अपने गहन आध्यात्मिक महत्व और वास्तुकला की सुंदरता के कारण वर्षों से योगदा सत्संग शाखा मठ, राँची में आने वाले भक्तों का ध्यान आकर्षित किया है।
यह मन्दिर पूरे दिन खुला रहता है, और भक्तों एवं आगंतुकों द्वारा व्यक्तिगत ध्यान के लिए उपयोग किया जाता है।