क्रिसमस 2018 पर स्वामी चिदानन्द गिरि का संदेश

20 दिसंबर, 2018

आपको और परमहंस योगानन्दजी के वैश्विक आध्यात्मिक परिवार व सभी मित्रों को प्रेमभरी क्रिसमस की शुभकामनाएं। इस पावन समय में जीसस व सभी ईश-युक्त आत्माओं में उपजी सार्वभौमिक कूटस्थ चेतना, आपकी अपनी भक्ति निर्मित चेतना में व्यक्त हो। आध्यात्मिक क्रिसमस बाह्य समारोहों से कुछ अधिक है; यह आशाओं और नई शुरुआतों का समय है, जब प्रकाश और आनंद सुनिश्चित रूप से स्वर्गीय लोगों से सुग्राही हृदयों में प्रवाहित होते हैं। यह, अवसर का एक अद्भुत अहसास लाता है — एक नई धुन और उत्साह के साथ हम स्वयं को ईश्वर के संग समस्वर करें, उदार-हृदय अच्छाई, उपकार और आगे बढ़कर सदाशयता दिखाने, जोकि हमारे अन्दर के नवजात क्राइस्ट की सूचना देने वाले देवदूत हैं, उन्हें अनुप्राणित करें। वह सच्ची क्रिसमस मनोवृत्ति समस्त मानवता में जागृत हो, धरा पर शांति की केवल आशा नहीं बल्कि सबके प्रति सदाशयता की सक्रिय चेतना।

दयालु प्रभु जीसस और सभी महान् विभूतियाँ धरा पर इसलिए अवतरित नहीं होती कि हमारे समक्ष एक दुरूह लक्ष्य रख सकें बल्कि हमें हमारी आत्मा की असीम क्षमताओं के प्रति जागृत करने — यह दिखाने कि हमारे अंदर गुप्त क्राइस्ट चेतना है (कूटस्थ चैतन्य) जो ब्रह्माण्ड का पालक है। इसको, प्रभु कृपा का उपहार, अंतरतमवासी शक्ति और प्रकाश खोजने का समय बनने दो। जीसस द्वारा प्रदर्शित क्राइस्ट सार्वभौमिकता का ध्यान कर अपने मन और हृदय के क्षितिज को खुलकर विस्तारित करें। धार्मिक एवं सामाजिक सीमाओं से उदासीन, वह सभी में ईश्वर को देखते थे। अपनी करुणावश उन्होंने उनको भी सहारा दिया जिन्होंने उनके प्रति गलत किया और अपने शत्रुओं को भी क्षमा कर दिया। उनके हृदय, जिसमें प्रभु के सभी बालक आवृत्त थे, में शत्रुता के लिए कोई स्थान नहीं था। और आप भी अपनी परवाह का दायरा बढ़ा सकते हैं — दिन प्रतिदिन स्वर्गीय व बाह्य शांति, समरसता और समझ रच कर इस क्रिसमस को आरंभ करो। इसे दूसरों को सहारा देने का विशेष समय बनने दो — केवल भौतिक उपहारों से ही नहीं बल्कि उदारमना उपहारों से, अपने समय और ध्यान के उपहारों से, समझदारी और क्षमा के उपहारों से। जैसाकि हमारे गुरु कहते थे “आप जब भी निस्वार्थ भाव से किसी के लिए कुछ करते हैं आप क्राइस्ट चेतना के दायरे में कदम रख देते हैं।”

अपनी आवश्यकताओं और चाहतों से परे अपनी चेतना को विस्तृत करने की गहन प्रेरणा ईश-प्रेम से भरे हृदय की सहज बाढ़ से मिलती है। जीसस के जीवन में व्याप्त क्राइस्ट प्रेम का स्रोत अक्षय था। इसलिए परमहंसजी हमें इस पवित्र समय में लम्बे, गहरे ध्यान के लिए समय निकालने का आग्रह करते थे। आपकी आत्मा के भित्तिविहीन मन्दिर के पावन मौन में, ईश्वर आपके पास आनंद, शांति और असीमित प्रेम के रूप में आते हैं और उनके समग्र समावेशी चैतन्य स्पर्श से आपको अलगाव के अवरोध विलीन होते प्रतीत होंगे; आपके परमात्मा और अन्य आत्माओं के साथ शाश्वत सम्बंध व्यक्त होने लगेंगे। उस आंतरिक जागृति से तनिक सी भी प्रबुद्ध प्रत्येक आत्मा स्वतः ही एक अधिक सामंजस्य पूर्ण विश्व में सहयोग करने लगती है। हमारे गुरु के शब्दों में उनका प्रेमपूर्ण आशीर्वाद ग्रहण करें “आपका क्रिसमस अत्यंत प्रफुल्ल हो और आपको वह महानतम उपहार प्राप्त हो जिसकी कोई आपके लिए कामना कर सकता है — आपके हृदय में क्राइस्ट भाव की अनुभूति। आप उनकी उपस्थिति को, क्रिसमस दिवस और नव वर्ष के प्रत्येक दिवस पर अनुभव करें। प्रकाश का अद्भुत उपहार ग्रहण करने हेतु अपने हृदय को खोलें।”

आपको और आपके प्रिय संबंधियों को अत्यंत आनंददायक क्रिसमस

स्वामी चिदानन्द गिरि

अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइजे़शन फ़ेलोशिप

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