महावतार बाबाजी और वर्तमान युग के लिए दिव्य सहायता

24 जुलाई, 2025
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प्रस्तावना :
परमहंस योगानन्दजी की योगी कथामृत के माध्यम से ही विश्व ने महावतार बाबाजी को जाना, जो वास्तव में एक विस्मयकारी आध्यात्मिक महात्मा हैं।

बाबाजी वह महान् आत्मा हैं जिन्होंने इस आधुनिक युग में क्रियायोग के प्राचीन विज्ञान को पुनर्जीवित किया, और वे योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप के कार्य के पीछे प्रबुद्ध गुरुओं की परम्परा में परम गुरु हैं। वे अगणित शताब्दियों से हिमालय में एकांत में निवास कर रहे हैं, जैसा कि योगी कथामृत में वर्णित है।

प्रत्येक वर्ष 25 जुलाई को, वाईएसएस/एसआरएफ़ उस दिन का स्मरणोत्सव मनाता है जब वर्ष 1920 में बाबाजी ने परमहंसजी के भारत से प्रस्थान करने से पूर्व उनसे कोलकाता में भेंट की थी, और उन्हें विश्व में क्रियायोग को प्रवर्तित करने का आशीर्वाद दिया था।

बाबाजी ने उस सभा में कहा, “तुम ही वह हो जिसे मैंने पाश्चात्य जगत् में क्रियायोग का प्रसार करने के लिए चुना है।” उन्होंने आगे कहा, “ईश्वर-साक्षात्कार की वैज्ञानिक प्रणाली क्रियायोग का अन्ततः सब देशों में प्रसार हो जाएगा और मनुष्य को अनन्त परमपिता का व्यक्तिगत इन्द्रियातीत अनुभव कराने के द्वारा यह राष्ट्रों के बीच सौमनस्य-सौहार्द्र स्थापित कराने में सहायक होगा।”

हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप नीचे परमहंसजी के उन वचनों को पढ़ें, जो महावतार बाबाजी के विश्व-रूपांतरणकारी प्रभाव को रेखांकित करते हैं।

परमहंस योगानन्दजी के प्रवचन एवं आलेखों से :

योग वह विज्ञान है जिसके द्वारा आत्मा शरीर तथा मन के साधनों पर प्रभुत्व प्राप्त करती है तथा इनका प्रयोग आत्म-साक्षात्कार — परमात्मा के साथ एकात्मता, इन्द्रियातीत प्रकृति तथा इसकी अमर प्रकृति की पुनर्जागृत चेतना के लिए करती है।

क्रियायोग प्रविधि, जो श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को सिखाई गई तथा श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित है, योग ध्यान का सर्वोच्च आध्यात्मिक विज्ञान है। भौतिकवादी युगों में लुप्त हो जाने के बाद, महावतार बाबाजी द्वारा इस अविनाशी योग का आधुनिक मानव के लिए पुनरुद्धार किया गया। मुझे स्वयं बाबाजी ने सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप [योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया] के माध्यम से ईश्वर-मिलन के इस पवित्र विज्ञान का प्रसार करने के लिए नियत किया था, जिसे मैंने उनके और मेरे गुरु के कहने पर स्थापित किया था।

बाबाजी आधुनिक युग की प्रवृत्तियों से, और विशेषतः, पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव और उसकी जटिलताओं से पूर्णतः अवगत हैं, और पूर्व तथा पश्चिम, दोनों में समान रूप से योग के आत्मोद्धारक ज्ञान का प्रसार करने की आवश्यकता का उन्हें भान है।”

[महावतार बाबाजी ने कहा है : ] “ईश्वर-साक्षात्कार की वैज्ञानिक प्रणाली क्रियायोग का अन्ततः सब देशों में प्रसार हो जाएगा और मनुष्य को अनन्त परमपिता का व्यक्तिगत इंद्रियातीत अनुभव कराने के द्वारा यह राष्ट्रों के बीच सौमनस्य-सौहार्द्र स्थापित कराने में सहायक होगा।”

लोटस-ऑरेंज-लाइनआर्ट

हम आपको परमहंसजी के आध्यात्मिक गौरव ग्रन्थ योगी कथामृत के उस अध्याय “आधुनिक भारत के महावतार बाबाजी” को पढ़ने के लिए आमंत्रित करते हैं, जो महावतार बाबाजी की आध्यात्मिक महिमा और विशेष भूमिका का विस्तार से वर्णन करता है। इस महान् आत्मा के विषय में और अधिक जानें, जो संसार के उत्थान के लिए कार्य करते हैं और जिन्होंने क्रियायोग मार्ग पर साधकों की निरंतर सहायता करने का वचन दिया है।

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