गुरु-शिष्य के बीच का संबंध मित्रता में प्रेम की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति है; यह निःशर्त दिव्य मित्रता है, जिसमें दोनों का एक ही साझा लक्ष्य होता है : अन्य किसी भी वस्तु से बढ़कर ईश्वर से प्रेम करने की इच्छा।
— परमहंस योगानन्द
गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर, वाईएसएस के भक्तगण वाईएसएस गुरुओं की पूजनीय गुरु-परम्परा — विशेष रूप से हमारे प्रिय गुरुदेव, श्री श्री परमहंस योगानन्द — को हृदय से श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं, जिनकी दिव्य प्रेरणा और दिशानिर्देश हमें आत्म-साक्षात्कार के पथ पर निरन्तर अग्रसर करते रहते हैं।
इस अवसर को मनाने तथा पवित्र गुरु-शिष्य संबंध के सम्मान में, वाईएसएस के एक संन्यासी द्वारा एक विशेष ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने वाले आयोजन में सामूहिक ध्यान, भक्तिपूर्ण संकीर्तन तथा एक प्रेरणादायक सत्संग शामिल थे।
इस पावन अवसर पर, व्यक्तिगत कार्यक्रम वाईएसएस के आश्रमों, केन्द्रों तथा मंडलियों में भी आयोजित किए गए।

वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द गिरि का संदेश
इस अवसर पर हमारे पूज्य अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख, श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि का विशेष संदेश पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें :
यदि आप हमारे गुरुदेव श्री श्री परमहंस योगानन्द और वाईएसएस गुरु परम्परा के द्वारा आपके जीवन में बरसाए गए उनके अनेक आशीर्वादों के लिए एवं उनके दिव्य मिशन में अपनी सेवा के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करना चाहते हैं, तो हम आपको इस पावन अवसर पर वाईएसएस द्वारा जारी किए गए अपील को पढ़ने के लिए आमंत्रित करते हैं :
यदि आप इस पावन अवसर पर दान देना चाहते हैं, तो कृपया नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें :