सच्चा प्रेम दिव्य होता है, और दिव्य प्रेम आनन्द है। आप जितनी अधिक ज्वलन्त उत्कटता के साथ ईश्वर को खोजते हुए ध्यान करोगे, उतना ही अधिक उस दिव्य प्रेम का अपने हृदय में अनुभव करोगे। तब आप जान जाओगे कि वह प्रेम आनन्द है, और आनन्द ही ईश्वर है।
— परमहंस योगानन्द
5 जनवरी परमहंस योगानन्दजी का आविर्भाव दिवस (जन्म दिवस) है, जिनका जन्म 1893 में भारत के गोरखपुर में भगवती और ज्ञान प्रभा घोष के घर हुआ था और उनका नाम मुकुंद लाल घोष रखा गया था। उनके जन्म से पहले ही, उनकी गुरु-परंपरा ने यह भविष्यवाणी की थी कि वे भारत के पवित्र ध्यान योग विज्ञान को पश्चिम में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
हमारे प्रिय गुरुदेव श्री श्री परमहंस योगानन्द के जन्मोत्सव के पावन अवसर को योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया द्वारा रविवार, 5 जनवरी को सुबह 6:30 बजे से 8:30 बजे तक (भारतीय समयानुसार) अंग्रेज़ी में वाईएसएस संन्यासी द्वारा संचालित एक विशेष ऑनलाइन कार्यक्रम के साथ मनाया गया। इसमें प्रार्थना, चैंटिंग, पठन और ध्यान-सत्र के बाद सत्संग शामिल था।
परमहंसजी का जन्मोत्सव भी पूरे देश में हमारे सभी आश्रमों, ध्यान केन्द्रों और मंडलियों में प्रेमावतार के प्रति प्रेम, भक्ति और हार्दिक कृतज्ञता के साथ मनाया गया।
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इस पावन दिन पर, भक्तगण परमहंसजी के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने क्रियायोग की जीवन-परिवर्तनकारी ध्यान शिक्षाओं को दुनिया में पहुँचाया और उनकी आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्रदान किया। भक्तगण प्रनामि अर्पित करके आभार व्यक्त करते हैं। यदि आप प्रनामि अर्पित करना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके भेंट दे सकते हैं।