परिचय :
प्रति वर्ष 21 जून को विश्व-भर के लोग अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाते हैं, जिसे 2014 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधुनिक विश्व में भारत के प्राचीन विज्ञान के अद्वितीय योगदान को स्वीकार करने के अवसर के रूप में निर्धारित किया गया था।
हालाँकि अनेक लोग योग को सिर्फ़ शारीरिक व्यायाम के रूप में ही समझते हैं — हठ योग के आसन या मुद्राएँ — लेकिन योग का असली महत्व और उद्देश्य मानव मन और आत्मा की अनंत क्षमताओं को उजागर करना है। योग शब्द का अर्थ ही है “मिलन” : व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चैतन्य या परमात्मा के साथ।
“आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है — उस महान् प्रसन्नता से पुनर्ममिलन जिसे सभी खोज रहे हैं। क्या यह एक अद्भुत परिभाषा नहीं है? परमात्मा के नित्य-नवीन परमानन्द में आपको विश्वास हो जाता है कि जिस आनन्द का आप अनुभव करते हैं वह अन्य किसी भी प्रसन्नता से महान् है, और अन्य कुछ भी आपको उससे नीचे नहीं ला सकता।”
उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति शुद्ध परमानन्द की उस अवस्था तक पहुँच सकता है, लेकिन ऐसा करने के लिए एक निश्चित पद्धति की आवश्यकता होती है, तथा उस योग पद्धति को जीवन के सभी पहलुओं में लागू करने की इच्छा होनी चाहिए — केवल एक दिन के लिए नहीं, अपितु निरंतर जब तक कि इसके वास्तविक लाभों का अपने अन्तर् में अनुभव न हो जाए।
ऐसा इसलिए है क्योंकि योग की शक्तिशाली ध्यान प्रविधियाँ और सिद्धांत — जैसे कि परमहंसजी और योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप की क्रियायोग शिक्षाओं में उनकी प्रसिद्ध गुरु परम्परा द्वारा सिखाए गए हैं — जीवन-परिवर्तनकारी परिणामों के लिए सार्वभौमिक रूप से लागू किए जा सकते हैं, जिससे योग को वास्तव में विश्व स्तर पर मनाया जा सकता है।
नीचे परमहंसजी द्वारा प्रदत्त ज्ञान योग को सभी के लिए एक सर्वोच्च सकारात्मक शक्ति के रूप में सम्मानित करता है, और दर्शाता है कि क्रियायोग का मार्ग अपनी उत्कृष्ट रूप से व्यावहारिक प्रविधियों के साथ एक साधक को परम स्वतंत्रता और आनंद की ओर कैसे ले जा सकता है। आखिरकार, जैसा कि परमहंसजी ने अपनी योगी कथामृत में कहा है, “संसार को देने के लिए भारत के पास और कुछ नहीं होता तो भी क्रियायोग अकेला ही शाही उपहार माना जाने के लिए पर्याप्त होता।”
परमहंस योगानन्दजी के प्रवचनों एवं लेखन से :
योग प्रमुख रूप से ध्यान का विज्ञान है : अर्थात्, ईश्वर पर एकाग्र होना और उनमें अपनी चेतना को विलीन कर देना। परन्तु निर्बाध रूप से ईश्वर पर ध्यान करने हेतु एक स्वाभाविक आवश्यकता होने के साथ-साथ, योग में मानव-स्वभाव और दैनिक जीवन के हर पक्ष को ईश्वराभिमुख बनाने के लिए अनुशासन और उचित दिशा भी अन्तर्निहित रहते हैं।
उदाहरण के लिए, योग व्यक्ति को आत्मा से प्राप्त मार्गदर्शन, अर्थात् आत्म-साक्षात्कार से उत्पन्न ज्ञान, द्वारा सभी समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाता है। जब तक मन समस्याओं से घिरा रहता है तब तक मानसिक और आध्यात्मिक स्वतंत्रता के लिए बहुत ही कम अवसर रह जाते हैं, क्योंकि ये दोनों गुण मानसिक अशांति के साथ-साथ नहीं रह सकते। मन को भ्रामक मनोवेगों, चिंताओं, और भयों से मुक्त कर देना चाहिए ताकि मानसिक शांति के आकाश में स्वर्ग का मुक्त पक्षी, अर्थात् आत्मा, आपके समूचे अस्तित्व पर ऊँची उड़ान भर सके और अपने पंखों को पसार सकें। योग आपके जीवन को भीतर और बाहर से बोझिल करने वाली व्यग्रताओं एवं कठिनाइयों को धीरे-धीरे दूर करते हुए मुक्ति के मार्ग को प्रशस्त करता है।
योगदा सत्संग की योग शिक्षाओं को जीवन के हर क्षेत्र में लागू किया जा सकता है : चाहे व्यवसायिक अथवा सामाजिक क्षेत्र हो, अथवा शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास का क्षेत्र हो। आध्यात्मिक सत्यों का ऐसा सर्वांगीण उपयोग सर्वोच्च आनन्द प्रदान करता है।
मैंने हमारे महान् गुरुजनों के इस एसआरएफ़ [वाईएसएस] पथ को अपना जीवन अर्पित कर दिया क्योंकि ये शिक्षाएँ संसार को एक व्यावहारिक रूप से विधिपूर्ण पद्धति प्रदान करती हैं जिनके ज़रिए सभी भक्त प्रत्यक्ष अनुभव द्वारा यह जान सकते हैं कि वे ईश्वर की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
ध्यान के निरंतर अभ्यास से आप पाएँगे कि आपको एक नित्य-नवीन, निरंतर बढ़ते आनंद की अनुभूति होगी, एक ऐसा आनंद जो केवल अल्पकालिक भौतिक सुख की एक अमूर्त मानसिक स्थिति नहीं है, अपितु ध्यान का ईश्वरीय आनंद है जो आपकी प्रार्थनाओं को ग्रहण करेगा और उनका उत्तर देगा।
ईश्वर ध्यान में अनुभूत आनंद है। वाईएसएस पाठमाला में दी गई क्रियायोग विज्ञान की प्रविधियों का अभ्यास करके, आप उस आनंद को पा लेंगे। मैं इस संसार में ऐसी किसी चीज़ के बारे में नहीं जानता जो आपको वह आनंद दे। यदि आप एक बार ईश्वर से संपर्क कर लें, तो आप जान जाएँगे कि इस धरती पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आप उनसे ज़्यादा चाहते हैं।
हम आपको वाईएसएस वेबसाइट पर “योग का वास्तविक अर्थ” देखने के लिए आमंत्रित करते हैं। वहाँ आप आत्मा के सहज आनंद को अधिक से अधिक अनुभव करने के लिए योग द्वारा प्रदान किए जाने वाले सार्वभौमिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बारे में अधिक जान सकते हैं।