श्री श्री लाहिड़ी महाशय आविर्भव दिवस

विशेष ऑनलाइन ध्यान

मंगलवार, 30 सितम्बर

सुबह 6:30 बजे

– सुबह 8:00 बजे

(भारतीय समयानुसार)

कार्यक्रम के विवरण

“जो क्रिया का अभ्यास करते हैं, उनके पास मैं सदैव रहता हूँ। तुम्हारी अधिकाधिक व्यापक बनती जाती आध्यात्मिक अनुभूतियों के माध्यम से मैं परमपद प्राप्त करने में तुम्हारा मार्गदर्शन करूँगा।”

— लाहिड़ी महाशय, योगी कथामृत में उद्धृत

योगावतार या “योग के अवतार” के रूप में पूजे जाने वाले, लाहिड़ी महाशय की अमर गुरु महावतार बाबाजी से प्रथम भेंट हिमालय में रानीखेत के निकट हुई थी, तथा वहाँ 160 वर्ष से भी पहले, उन्होंने महावतार बाबाजी से क्रियायोग के पवित्र विज्ञान में दीक्षा प्राप्त की थी। परमहंस योगानन्दजी ने अपनी योगी कथामृत के माध्यम से सर्वप्रथम इस दिव्य वरदान को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने बताया है, “यह शुभ घटना केवल लाहिड़ी महाशय के साथ ही नहीं घटी थी; वरन् यह संपूर्ण मानव जाति के लिए एक सौभाग्यशाली क्षण था। योग की लुप्त, अथवा दीर्घकाल से विस्मृत, सर्वोच्च कला को प्रकाश में लाया जा रहा था।”

30 सितम्बर को, लाहिड़ी महाशय के आविर्भव दिवस पर, हम आपका एक विशेष ऑनलाइन ध्यान में सम्मिलित होने के लिए हार्दिक स्वागत करते हैं। यह ध्यान वाईएसएस संन्यासी द्वारा उन महान् योगावतार के सम्मान में संचालित किया जाएगा जिन्होंने पवित्र क्रियायोग की शिक्षाएँ विश्व को प्रदान कीं।

यह कार्यक्रम एक प्रारंभिक प्रार्थना से शुरू होगा, जिसके बाद पाठ, चैंटिंग और ध्यान किया जाएगा, और इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास तथा समापन प्रार्थना के साथ होगा।

कृपया ध्यान दें : यह कार्यक्रम बुधवार, 1 अक्टूबर, रात 10 बजे (भारतीय समयानुसार) तक देखने के लिए उपलब्ध रहेगा।

इस ऑनलाइन ध्यान के अतिरिक्त, आपको इस अवसर पर वाईएसएस आश्रमों, केन्द्रों और मंडलियों में आयोजित विशेष कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया अपने निकटतम वाईएसएस केन्द्र से संपर्क करें।

इस शुभ अवसर पर यदि आप कोई भेंट करना चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट पर जाकर और नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके ऐसा कर सकते हैं। आपका योगदान न केवल हमें अनेक मानवीय सेवा कार्य संपन्न करने में सहायता करता है, अपितु यह महान् गुरु के प्रति आपके शाश्वत प्रेम और अटूट भक्ति को भी दर्शाता है।

नवागंतुक

परमहंस योगानन्दजी और उनकी शिक्षाओं के बारे में और अधिक जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर जाएँ :

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