परिचय :
क्या आपने कभी किसी सार्थक आध्यात्मिक या भौतिक लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास किया है और फिर, स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाली बाधाओं का सामना करने पर, हताश या हतोत्साहित महसूस किया है?
खैर, यह मानव होने का एक हिस्सा है, लेकिन यह याद दिलाना भी अच्छा है कि परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाएँ हमें इस योग्य बनाती हैं कि हम किसी भी और सम्पूर्ण निराशा को अपनी इच्छा शक्ति से आपूरित अविचल दृढ़ संकल्प के एक अजेय दृष्टिकोण के साथ बदल सकते हैं।
“जब इच्छाशक्ति सक्रिय हो जाती है तो, कुछ भी असम्भव नहीं है एक अच्छे लाभदायक, रचनात्मक लक्ष्य को चुनें और फिर निश्चय करें कि उसे प्राप्त करके ही रहेंगे।” परमहंस जी ने कहा। “चाहे आप कितनी बार भी असफल हों, प्रयास करते रहें। चाहे कुछ भी हो जाए, यदि आपने अपरिवर्तनीय दृढ़ निश्चय कर लिया है, “पृथ्वी टुकड़े-टुकड़े हो सकती है, लेकिन मैं जितना हो सके प्रयत्न करता रहूँगा” तब आप सक्रिय इच्छाशक्ति का उपयोग कर रहें हैं, और आप सफल हो जाएँगे।”
वास्तव में, हमारे पास यह शक्ति है कि हम किसी भी संदेह या उत्साह की अस्थायी कमी के बाद भी, “नहीं कर सकते” को “कर सकते हैं” में बदल सकते हैं और अपनी चेतना एवं अपनी परिस्थितियों को नया रूप दे सकते हैं।
हम आशा करते हैं कि आप इस माह के न्यूज़लेटर का उपयोग अपने जीवन में एक उच्च महत्वाकांक्षा की पूर्ति हेतु उत्साह की अग्नि को प्रज्वलित करने के लिए कर सकेंगे — और विशेष रूप से अपने भीतर आत्मा की सर्व-सिद्धिदायक दिव्यता का बोध करने के सर्वोच्च लक्ष्य के लिए।
परमहंस योगानन्दजी के प्रवचनों एवं लेखन से :
“नहीं कर सकता की चेतना” के लिए एक प्रतिकारक है : प्रतिज्ञापन “मैं कर सकता हूँ!” अपने मन से उस प्रतिकारक का सृजन करें और अपनी इच्छा-शक्ति से उसका प्रयोग करें।
प्रतिदिन प्रात, स्वयं को स्मरण कराएँ कि आप ईश्वर की संतान हैं, और चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, आप में उन पर विजय प्राप्त करने की शक्ति है। परमात्मा की ब्राहृाण्डीय शक्ति के उत्तराधिकारी होने के नाते, आप खतरे से भी अधिक खतरनाक हैं!
किसी कार्य को बस प्रारम्भ करके इस विचार पर विजय प्राप्त करें कि आप उसे नहीं कर सकते। और फिर निरंतर करते रहें। परिस्थितियाँ आपको नीचे गिराने का प्रयास करेंगी, आपको हतोत्साहित करने और पुन: यह कहने के लिये कि, “मैं यह नहीं कर सकता।” अगर कोई शैतान है, तो वह शैतान है “मैं यह नहीं कर सकता।”…अपने अदम्य दृढ़ विश्वास, “मैं यह कर सकता हूँ,” से उस शैतान को अपनी चेतना से बाहर निकाल दें।
इसे सच मानिए और जितनी बार संभव हो, इसका प्रतिज्ञापन कीजिए। मानसिक रूप से इस पर विश्वास कीजिए, और इच्छा-शक्ति के साथ इस पर काम करके उस विश्वास को ऊर्जा प्रदान कीजिए। इस पर काम कीजिए! और जब आप काम कर रहे हों, तो कभी भी यह विचार न छोड़ें कि, “मैं यह कर सकता हूँ।” चाहे हज़ारों बाधाएँ क्यों न हों, हिम्मत मत हारिए। अगर आपमें वह दृढ़ संकल्प है, तो आप जो भी करने जा रहे हैं, वह अवश्य ही पूर्ण होगा; और जब ऐसा होगा, तो आप कहेंगे, “अरे, यह तो बहुत आसान था!”
देखिए, मैं आपको विस्तार का जो मार्ग दिखा रहा हूँ, वह कितना अद्भुत है। ये शब्द, “मैं कर सकता हूँ, मुझे करना चाहिए, और मैं करूँगा” — यही स्वयं को बदलने और पूर्ण विजय प्राप्त करने का तरीका है।
जो शक्ति आपमें पहले से ही है, उसे रचनात्मक उद्देश्यों में व्यय करें, आपको और शक्ति मिलती रहेगी। सफलता के तत्वों का प्रयोग करते हुए दृढ़ निश्चय के साथ अपने मार्ग पर बढ़ते चलें। परमात्मा की सृजनात्मक शक्ति से स्वयं को एकरूप कर दें। तब आप उस अनन्त प्रज्ञा के सम्पर्क में होंगे जो आपका मार्गदर्शन करने में एवं समस्त समस्याओं को सुलझाने में समर्थ है। आपके व्यक्तित्व के क्रियात्मक स्रोत से शक्ति निर्बाध रूप से प्रवाहित होगी, जिसके फलस्वरूप आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में रचनात्मक रूप से कार्य करने में समर्थ होंगे।
हम आपको “सच्ची सफलता और समृद्धि प्राप्त करना” वेबपेज पर आने के लिए आमंत्रित करते हैं, ताकि आप परमहंस योगानन्दजी से अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकें कि कैसे जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण और इच्छा-शक्ति को जबरदस्त सकारात्मकता से भर सकते हैं — ताकि आप अपने सभी सार्थक लक्ष्यों को विजयी रूप से प्राप्त कर सकें।
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