स्वामी श्रीयुक्तेश्वरजी के महासमाधि दिवस पर विशेष ध्यान — 9 मार्च, 2024
मनुष्य के आचरण का तब तक कोई भरोसा नहीं होता जब तक वह ईश्वर में अधिष्ठित न हो जाय। भविष्य में सब कुछ सुधर जायेगा
मनुष्य के आचरण का तब तक कोई भरोसा नहीं होता जब तक वह ईश्वर में अधिष्ठित न हो जाय। भविष्य में सब कुछ सुधर जायेगा
…केवल प्रेम ही मेरा स्थान ले सकता है। ईश्वर के प्रेम में दिन और रात इतना डूब जाओ कि तुम्हें ईश्वर के अतिरिक्त और कुछ
जब मैं चला जाऊँगा, तब ये शिक्षाएँ ही तुम्हारी गुरु होंगी…। इन शिक्षाओं के माध्यम से ही तुम मुझसे और उन महान् गुरुओं से, जिन्होंने
अपने अनुयायियों के लिए, परमहंस योगानन्दजी सर्वप्रथम, एक प्रेमावतार, दिव्य प्रेम के अवतार, एक सर्वोच्च भक्त के रूप में जाने जाते हैं। उनके चरित्र में
नववर्ष की कल्पना एक उद्यान के रूप में करें, जिसके पौधे लगाने की योजना बनाने हेतु आप उत्तरदायी हैं। इस भूमि में अच्छी आदतों के
हे क्राइस्ट, ईश्वर करें कि इस क्रिसमस पर और अन्य सभी दिनों में आपके प्रेम का जन्म सभी हृदयों में अनुभव हो। — परमहंस योगानन्द
तुम्हें सच्चे जिज्ञासुओं को क्रियायोग के माध्यम से आध्यात्मिक दिलासा देने के लिए चुना गया है। पारिवारिक बन्धनों और भारी सांसारिक कर्तव्यों से दबे लाखों
श्री श्री लाहिड़ी महाशय को योगावतार, “योग के अवतार” के रूप में सम्मानित किया जाता है। योगी कथामृत में, परमहंस योगानन्दजी ने महान् गुरु के
गीता में श्रीकृष्ण का सन्देश आधुनिक युग और किसी भी युग के लिए सम्पूर्ण उत्तर है : कर्त्तव्य कर्म, अनासक्ति, और ईश्वर-प्राप्ति के लिए ध्यान