अलौकिक प्रकाश के समान

अलौकिक प्रकाश के समान

मुक्ति माताजी द्वारा

साठ वर्षों तक परमहंस योगानन्दजी की शिष्या रहीं मुक्ति माताजी (1922-2008) सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप की पदाधिकारी (मिनिस्टर) थीं, जो अपने गुरु से 1945 में मिलीं। यहाँ दी गईं सीडी रिकॉर्डिंग्स के अंश में, वे गुरुजी के साथ उनके अनुभवों का वर्णन करती हैं।

“अपेक्षाकृत वह ब्रह्मांड जैसे थे : सर्वज्ञ, सब कुछ जानने, सब कुछ समझने वाले। और उस प्रत्येक आत्मा के लिए उनका प्रेम जो भी उनके पास आए : अद्भुत और असाधारण, विशुद्ध, अलौकिक प्रकाश के समान था।”

A hundred thousand unseen veils were swiftly pulled back…. “Like the Light From Heaven” सीडी में से (7:01 मिनट)

सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप की शिक्षाओं और सद्गुरु से मेरा अनायास परिचय 1945 के पतझड़ में हुआ। मुझे अपने जीवन में कुछ होने का पूर्वाभास हो गया था और मैंने कहा, “प्रभु यदि आपका अस्तित्व है, तो मैं आपको चुनौती देती हूँ कि मुझे आप यह सिद्ध करें।” यह एक प्रबल माँग थी। इसके दो सप्ताह बाद ही, एक मित्र आए और सीधे कहा, “चलो हम हॉलीवुड चलते हैं।” मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हम एक चर्च — सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप चर्च जा रहे हैं। और जब मेरे मित्र ने मुझे नाम बताया तो मैंने सोचा, “अच्छा, इसका क्या मतलब है?” मैंने सोचा शायद कोई दार्शनिक पदाधिकारी होगा जो धर्म पर किसी प्रकार के दार्शनिक विचारों या ऐसी ही किसी बात पर चर्चा करेगा। लेकिन जब सद्गुरु प्रकट हुए और मैंने उन्हें देखा, मैंने सोचा, “यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। यह व्यक्ति ईश्वर को जानता है।” मैं अक्सर सोचती हूँ, “आप किसी को सर्वज्ञता की व्याख्या कैसे करेंगे?” उन्हें हमारे हर विचार, हर एहसास, हम कहाँ से आए हैं, हम कहाँ जा रहे थे, सब पता था। (भला करे कोई तो जानता था!) लेकिन हॉलीवुड मंदिर में उस प्रथम परिचय के बाद भवन छोड़ते हुए, मैं जानती थी कि मेरी भौतिक देह बाहर कदम रख रही थी लेकिन मैं नहीं। जब मैं बड़ी हो रही थी, उस दौरान हर दो-तीन वर्ष में भूरी (ब्राउन) आँखों की एक जोड़ी का चित्र बनाया करती थी। और मैं उन आंखों में शाश्वतता का भाव उत्पन्न करने का प्रयास करती। और मेरी एकाग्रता कई बार इतनी केंद्रित हो जाती कि वह मेरे लिए सजीव हो जातीं। और जब मैंने सद्गुरु को देखा तब वास्तव में मैंने वैसी आँखें देखीं। वे अपेक्षाकृत ब्रह्मांड की तरह थे : सर्वज्ञानी सर्व बोधी और उस प्रत्येक आत्मा के लिए उनका प्रेम जो भी उनके पास आए अद्भुत और साधारण विशुद्ध अलौकिक प्रकाश के समान। Order the CD for Mukti Mata’s complete talk on her remembrances of life with Paramahansa Yogananda. ऑर्डर करें

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