जीवन का उद्देश्य है ईश्वर को प्राप्त करना। किन्हीं भी परिस्थितियों में स्वयं को नश्वर आदतों और सीमाओं तथा माया के अन्य अपमानजनक अनुभवों के मलबे तले दबा दिये जाने की अनुमति न दें। अपनी इच्छाशक्ति को खींच कर स्वतन्त्र करने हेतु अपने दृढ़ संकल्प का प्रयोग करें तथा अपने शरीर और ब्रह्माण्ड पर स्वामित्व प्राप्त करें। आपकी इच्छाशक्ति के विकास में आपके अन्तर में निहित ईश्वर के प्रतिबिम्ब को खोजने की क्षमता निहित है।
— परमहंस योगानन्द
परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं पर आधारित, “जीवन और मृत्यु के रहस्यों को सुलझाना” विषय पर योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के संन्यासी स्वामी ईश्वरानन्द गिरि द्वारा दिए गए प्रवचन के माध्यम से हम आपको अपने अस्तित्व के गहन अर्थ को समझने के लिए आमंत्रित करते हैं।
हम इस संसार में एक अज्ञात स्रोत से आते हैं और समान रूप से एक अज्ञात गंतव्य के लिए इसे छोड़ देते हैं। हमारे प्रियजन विलुप्त हो जाते हैं, और हम सोचते हैं कि क्या हम उन्हें फिर कभी देख पाएंगे। परमहंस योगानन्दजी ने कहा था कि इस महान रहस्य को सुलझाना ही पृथ्वी पर हमारे प्रवास का उद्देश्य है।
दो भागों की श्रृंखला के इस पहले प्रवचन में, स्वामी ईश्वरानन्द जीवन और मृत्यु की अनिवार्य वास्तविकता के बारे में परमहंस योगानन्दजी के ज्ञान को साझा करते हैं, ताकि हमारा ध्यान आत्मा के वास्तविक स्वरूप की ओर मुड़े। फिर वे हमारे दिव्य स्वभाव की खोज के लिए क्रियायोग को एक शक्तिशाली प्रविधि के रूप में सहायक बताते हैं।
यह प्रवचन स्वामी ईश्वरानन्द गिरि द्वारा 2023 में SRF World Convocation के अंतर्गत अंग्रेजी में दिया गया था और यहाँ देखने के लिए उपलब्ध है।