एक “अद्वितीय” अनुभव : युवा सेवा स्वयंसेवक कार्यशाला

6 जून, 2025
वाईएसएस संन्यासियों के साथ उपस्थित लोगों का समूह चित्र।

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) द्वारा पहली बार युवा सेवा स्वयंसेवक कार्यशाला वाईएसएस नोएडा आश्रम में 1 से 4 मई, 2025 तक आयोजित की गई। इसमें भारत भर के सभी वाईएसएस आश्रमों और 40 से अधिक केन्द्रों से 125 भक्त — अनुभवी स्वयंसेवक और सेवा के लिए नए-नए प्रेरित हुए स्वयंसेवक — एक साथ एकत्र हुए।

वाईएसएस संन्यासियों द्वारा निर्देशित इस चार दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य स्वयंसेवकों को युवा सेवा विभाग के दृष्टिकोण और लक्ष्यों के इर्द-गिर्द एकजुट करना तथा परमहंस योगानन्द की शिक्षाओं पर आधारित होकर बच्चों, किशोरों और युवा साधकों (18 से 35 वर्ष की आयु) की सेवा करने हेतु उन्हें प्रशिक्षित करना था।

“यह प्रशिक्षण अपनी तरह का अनूठा है और यदि आप ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं जो आपको अपनी साधना तथा ईश्वर एवं गुरु के साथ अपने अन्तःसम्पर्क को गहरा करने में भी मदद करेगा, तो यह वही है!”

—के.एम., महाराष्ट्र

कार्यशाला का शुभारम्भ स्वामी ललितानन्द द्वारा प्रतीकात्मक दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
स्वामी शंकरानन्द ने उपस्थित जनों के साथ युवा सेवा विभाग के उद्देश्य एवं लक्ष्य साझा किए।
स्वामी शंकरानन्द ने उपस्थित लोगों के साथ युवा सेवा विभाग के उद्देश्य और लक्ष्य साझा किए।
Joyful ice-breaker activities helped attendees to get to know each other.
आनन्दमय परिचय-गतिविधियों ने उपस्थित लोगों को एक-दूसरे को जानने में मदद की।
स्वयंसेवकों को युवा सेवा सुविधाकर्ता के रूप में अपनी भूमिका की मूलभूत समझ प्राप्त हुई।
स्वयंसेवकों को युवा सेवा सुविधाकर्ता के रूप में अपनी भूमिका की मूलभूत समझ प्राप्त हुई।
A senior trainer conducts a session for the attendees.
एक वरिष्ठ प्रशिक्षक उपस्थित लोगों के लिए एक सत्र आयोजित करते हुए।

वाईएसएस संन्यासियों और अनुभवी स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण सत्रों का नेतृत्व किया तथा प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने नवगठित विभाग के पाँच क्षेत्रों में उपलब्ध विभिन्न सेवा अवसरों से भी परिचित कराया :

  • समुदाय और संचार,
  • प्रशिक्षण और विषय-वस्तु,
  • कार्यक्रम और संचालन,
  • वाईएसएस केन्द्रों में युवा सेवा कार्यक्रमों का विकास, और
  • स्वयंसेवक समन्वय।

“यह सीखने का अद्भुत अवसर मिला कि प्रत्येक सत्र में गुरुजी की शिक्षाओं को कैसे एकीकृत किया जाए — जिससे इसे बच्चों के लिए अधिक जीवंत, सार्थक, आनन्ददायक और उपयोगी बनाया जा सके।”

—एस.एन., झारखंड

एक संतुलित कार्यक्रम

उद्घाटन के दिन तीन घंटे के ध्यान और दिन में तीन बार सामूहिक ध्यान ने प्रत्येक दिन की गतिविधियों के लिए एक शांत और ग्रहणशील माहौल तैयार किया।

प्रतिभागियों ने सीखा कि साधना और सेवा को संतुलित करना एक भक्त के आध्यात्मिक जीवन के लिए आवश्यक है — और यह संतुलन बनाए रखना उन युवाओं के लिए एक शक्तिशाली उदाहरण स्थापित करता है जिनकी वे सेवा करते हैं।

स्वयंसेवक सामूहिक ध्यान में शामिल होते हुए।

दो शिक्षण पथ : बच्चों और किशोरों का सत्संग

कार्यशाला ने दो केन्द्रित शिक्षण पथ प्रस्तुत किए — बाल सत्संग और किशोर सत्संग — जिसमें प्रतिभागियों को उनकी रुचि और पिछले अनुभव के अनुसार समूहित किया गया था।

प्रत्येक धारा के भीतर, खुले आदान-प्रदान और गहरे संबंध को प्रोत्साहित करने के लिए स्वयंसेवकों को सोच-समझकर समूहित किया गया था। प्रशिक्षण में प्रभावी सत्संग सुव्यवस्थापन के मूल सिद्धांतों को शामिल किया गया : सत्र को परमपिता पर केन्द्रित रखना, गुरुदेव की शिक्षाओं की पवित्रता को बनाए रखना, और प्रेम, आनन्द एवं सराहना व्यक्त करना।

स्वयंसेवकों ने बच्चों और किशोरों (6-17 वर्ष की आयु) को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने वाले और रचनात्मक दृष्टिकोणों के माध्यम से संलग्न करने के लिए सर्वोत्तम पद्धतियाँ भी साझा कीं। मुख्य बातों में कहानी सुनाने के सजीव प्रदर्शन, ध्यान का नेतृत्व करने पर व्यावहारिक मार्गदर्शन और सत्र नियोजन में व्यावहारिक अभ्यास शामिल थे — ये सभी युवा मनों और हृदयों की आवश्यकताओं के अनुरूप थे।

A session in progress.
एक सत्र प्रगति पर।
Volunteer groups during a learning session.
एक शिक्षण सत्र के दौरान स्वयंसेवक समूह।

“सत्र की तैयारी के लिए मूल सिद्धांत वास्तव में मूल्यवान हैं और ‘प्रेम और सराहना’ पर ध्यान केन्द्रित करना अद्भुत है। वास्तव में, पूरा प्रशिक्षण बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित है। इस प्रयास के लिए मैं वास्तव में आभारी हूँ और इसे संभव बनाने में शामिल सभी को धन्यवाद देती हूँ।”

—एस.एल., तमिलनाडु

“इसने हमें एक सत्र के प्रत्येक घटक के बारे में संरचित तरीके से अधिक सोचने का बेहतर अवसर दिया, जो हमें गुरुजी की शिक्षाओं को आत्मसात करने और बाल सत्संग सत्र में इसे अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में मदद करेगा।”

—एस.एस., पश्चिम बंगाल

सत्रों के दौरान आनन्दमय शिक्षा।

“सत्र ‘ध्यान पद्धतियों को दिलचस्प और चित्ताकर्षक बनाना’ अद्भुत था! यह बच्चों के लिए ध्यान का संचालन करने का एक अद्भुत उदाहरण था।”

—एन.पी., उत्तर प्रदेश

युवा सेवाओं में सेवा के मार्गदर्शक सिद्धांत

कार्यशाला के अंत में, स्वामी शंकरानन्द और वरिष्ठ स्वयंसेवकों ने युवा कार्यक्रम आयोजित करने के प्रमुख दिशा-निर्देश साझा किए — यह सुनिश्चित करते हुए कि एक सुरक्षित और आध्यात्मिक रूप से पोषण करने वाला वातावरण प्रदान किया जाए जहाँ बच्चे और किशोर परमपिता के प्रति अपने प्रेम में वृद्धि कर सकें।

एक स्वयंसेवक सेवा अवसर डेस्क भी स्थापित किया गया था ताकि प्रतिभागियों को युवा सेवा विभाग के पाँच क्षेत्रों का पता लगाने और जहाँ वे सबसे अधिक प्रेरित महसूस करते थे, वहाँ सेवा करने में अपनी रुचि दर्ज कराने में मदद मिल सके।

A working group member sharing her experience.
एक स्वयंसेवक अपना अनुभव साझा करती हुई।
स्वयंसेवक सहायता डेस्क
स्वयंसेवक सहायता डेस्क।

प्रशिक्षण को आगे बढ़ाना

अंतिम दिन इस बात पर चर्चा की गई कि स्वयंसेवक अपने शहरों में वापस लौटने के बाद युवाओं तक पहुँच को मज़बूत करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं। सामंजस्यपूर्ण टीमवर्क के ज़रिए स्थानीय केंद्रों पर युवा सेवाओं को कैसे विकसित और विस्तारित किया जाए, इस पर सर्वोत्तम अभ्यास साझा किए गए।

स्वामी स्मरणानन्द गिरि द्वारा एक समापन सत्संग में आध्यात्मिक पालन-पोषण और युवा आत्माओं को दिव्य आदर्शों के प्रकाश में मार्गदर्शन करने के पवित्र उत्तरदायित्व पर ज्ञान प्रदान किया गया।

कार्यशाला का समापन नवगठित युवा सेवा विभाग की सफलता के लिए दिव्य आशीर्वाद का आह्वान करते हुए सामूहिक चैंटिंग और पुष्टिकरण के एक दौर के साथ हुआ।

Swami Smaranananda gives the concluding satsanga.
स्वामी स्मरणानन्द समापन सत्संग देते हुए।

“यह प्रशिक्षण अपनी तरह का अनूठा है और यदि आप ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं जो आपको अपनी साधना तथा ईश्वर एवं गुरु के साथ अपने अन्तःसम्पर्क को गहरा करने में भी मदद करेगा, तो यह वही है!”

—के.एम., महाराष्ट्र

स्वयंसेवकों ने इस सौभाग्यशाली प्रशिक्षण अवसर और सीखने के अनुभव के लिए अपनी सराहना व्यक्त की, जो युवा आत्माओं को आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर मार्गदर्शन करने के लिए उनके हृदय और मन को बेहतर ढंग से तैयार करता है।

“कितनी अच्छी तरह से योजनाबद्ध और विचारशील कार्यशाला।...यह वास्तव में हमारे गुरुजी के कार्य करने के तरीके का प्रतिनिधित्व करती है। वह हमारे और वाईएसएस के हमारे नन्हें बच्चों के बारे में कितना सोचते हैं। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि गुरु ने हमें उस कार्य के लिए दिव्य साधन के रूप में चुना जो उनके हृदय के बहुत करीब था। इस अद्भुत कार्यशाला को आयोजित करने के लिए सभी संन्यासियों और स्वयंसेवकों का हृदय से आभारी हूँ। प्रशिक्षण से लेकर रहने और भोजन तक सब कुछ उत्तम था। इस अद्भुत कार्यशाला का हिस्सा बनकर बहुत प्रसन्न हूँ। मेरा हृदय भरा हुआ है।”

—पी.एस., तमिलनाडु

अगले कदम

  • जो लोग युवा सेवाओं के लिए स्वयंसेवा करना चाहते हैं और भविष्य के प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेना चाहते हैं, वे [email protected] पर हमसे संपर्क कर सकते हैं।
  • किशोर सत्संग स्वयंसेवकों के लिए एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम जुलाई-अगस्त में 2025 के अंत में ऑनलाइन किशोर सत्संग कार्यक्रम के राष्ट्रव्यापी शुभारम्भ की तैयारी में नियोजित है।
  • अतिरिक्त मूलभूत प्रशिक्षण और समन्वयक कौशल-निर्माण कार्यशालाएँ इस वर्ष के उत्तरार्ध में नियोजित हैं।

युवा सेवा समन्वयक के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त करने में रुचि रखने वाले भविष्य के प्रशिक्षण सत्रों में शामिल होने के लिए यह फॉर्म भर सकते हैं।

हम इस पवित्र कार्य को — गुरुजी के प्रकाश में, एक साथ — जारी रखने की आशा करते हैं।

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